अभी तक आम आदमी महंगी हुई हर चीज़ से परेशान था लेकिन अब घरों में तैयार होने वाला खाना भी अब पड़ने लगेगा महंगा इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है प्याज,आलू और टमाटर की बढ़ते दाम है। एक खाना ही था जो इंसान अपनी पसंद से बिना डरे खता था अब उसको भी बढ़ती सब्ज़ियों के दाम याद कर कर के खाने होंगे आपको बता दे कि घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, घर का खाना का बना खाना सितंबर 2023 की तुलना में सितंबर 2024 में महंगा हो गया है।
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मांसाहारी थाली 2 प्रतिशत सस्ती
शाकाहारी भोजन की कीमत सितंबर में 28 रुपए से बढ़कर 31.3 रुपए हो गई। तो वही मांसाहारी थाली 2 प्रतिशत सस्ती हुई है। बढ़ते दामों का असर हुआ वेज थाली पर जिसकी कीमत सामूहिक रूप से 37 प्रतिशत है। वहीं प्याज की कीमत में सालाना आधार पर 53 प्रतिशत, आलू की कीमत में 50 प्रतिशत और टमाटर की कीमत में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसलिए इसका असर भी वेज थाली पर जड़ा और साफ दिखाई दे रहा है।
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प्याज और आलू की कीमतों में इजाफा
मंडियों में प्याज और आलू की कीमतों में इजाफा कम आवक के कारण हुआ है, जबकि कई राज्यों में तेज बारिश के कारण टमाटर के उत्पादन पर असर पड़ा है। इन वजहों से सब्जियों के दाम में उछाल देखने को मिल रहा है। दूसरी तरफ दालों की बढ़ती महंगाई ने भी वेज थाली पर प्रभाव डाला है। दाल के उत्पादन में कमी का असर साफ देखने को मिल रहा है। दालों की कीमत शाकाहारी थाली की लागत का 9 प्रतिशत है।
खरीफ फसल बाजार में आने के बाद ही कीमतों में होगी सुधार
रिपोर्ट के अनुसार, खरीफ फसल बाजार में आने के बाद ही प्याज की कीमतों में मामूली सुधार होगा। आलू की कीमतों में भी गिरावट आने की उम्मीद है, हालांकि कम आपूर्ति के कारण टमाटर की कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं। वहीं, नॉन-वेज थाली में ब्रॉयलर की कीमत में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत की अनुमानित गिरावट आई है। यह नॉन-वेज थाली की कीमत का 50 प्रतिशत हिस्सा है।
व्यापार पर भी पड़ रहा है असर आर्थिक स्थिति खराब
तमाम सब्जियों का महंगा होना। इसका असर व्यापार पर भी पड़ रहा है लिहाज़ा लोगों की आर्थिक स्थिति खराब है। मंडी में छोटे से लेकर बड़े व्यापारियों पर इसका असर दिखाई दे रहा है और वहीं सबसे ज्यादा परेशान वे सब्जीवाले हैं जो मोटरसाईकिलों और हाथठेलों पर सब्जी बेच रहे हैं। इनकी कमाई फिलहाल करीब आधे से भी कम रह गई है। ऐसे में इनके सामने जीवन संकट खड़ा हो गया है।
सबसे ज्यादा चर्चा में टमाटर
टमाटर के बड़े व्यापारी बताते हैं कि पहले के मुकाबले केवल मंडी में ही टमाटर की खपत कम हो चुकी है। रोज़ करोड़ों का कारोबार करने वाली यह मंडी में इस समय काफी कम काम हो रहा है। सब्जी के व्यापार में मुनाफा हो या न हो लेकिन घाटा जरुर होता है क्योंकि दुकान में बची हुई सब्जियां अगले दिन काम की नहीं रहती हैं। उनकी उम्र केवल खेत से टूटने से लेकर दुकान पर आकर एक दिन के अंदर बिकने की ही होती है।
महंगाई से स्थिति काफी खराब है और परिवार का भरण पोषण भी मुश्किल हो रहा है। टमाटर की महंगाई से लोगों की रसोई बुरी तरह से प्रभावित हुई है। रसोई में टमाटर न के बराबर है। महू की ही एक गृहणी बताती हैं कि उन्होंने बीते एक महीने में शायद एक बार ही एक पाव टमाटर खऱीदा था और उस समय टमाटर उन्हें पचास रुपए किलोग्राम मिला था। ऐसे में उन्होंने टमाटर का इस्तेमाल ही बंद कर दिया है। वे बताती हैं कि टमाटर ही नहीं सभी हरी सब्जियां महंगी हैं ऐसे में घर का बजट बिगड़ चुका है।