Hal Shashthi Vrat 2023: आज के दिन हिंदू धर्म में लोग हलछठ का त्योहार मना रहे हैं। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की पष्ठी को हलछठ का त्योहार मनाते हैं। इस त्योहार लोग बड़े ही सादगी से मनाते हैं। इस दिन महिलाएं अपने पुत्र के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को पुत्रवती महिलाएं रखती हैं। इस पर्व को ‘हलषष्ठी’ या ‘हरछठ’ कहते हैं।
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जाने इस व्रत को रखने का महत्व
आपको बता दे कि ऐसा माना जाता हैं कि आज के दिन संतान के लिए माता उपवास रखती हैं। कहा जाता हें कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से पुत्र को संकटों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत में महिलाएं प्रति पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिट्टी के बर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इस महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और समृद्धि की कामना के लिए उपवास रखती हैं।
हलछट में किसकी पूजा होती..
कोई भी व्रत बिना भगवान के अधूरा हैं। हलछट पूजा में भगवान शिव व माता पर्वती की मूर्ति बनाकर पूजा महिलाओं द्वारा की जाती है। पूजा आदि में केवल भैंस के दूध का उपयोग करने की परंपरा है। इस दिन भैंस के दूध से बने घी और दही का उपयोग पूजन आदि में किया जाता है। इस पर्व पर महुवा, आम, पलास की पत्ती, कांसी के फूल, नारियल, मिठाई, रोली-अक्षत, फल, फूल सहित अन्य पूजन सामग्री से विधि-विधान से पूजन करने का विधान है। शास्त्रों में संतान की रक्षा के लिए माताओं द्वारा यह व्रत करना श्रेष्ठ बताया गया है।
हलछठ व्रत: पूजा विधि और नियम
- पूजा की तैयारी के लिए सभी पूजा सामग्री, व्रत के नियम और कानूनी नियमों को पूरा करें।
- हलषष्ठी के दिन उपवास करें, जिसमें आपको एक महिला और एक पुरुष को बुलाना चाहिए, जो भगवान शिव और पार्वती का प्रतीकित करेंगे।
- इस दिन पूजा अर्चना करें, भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को सुंदर रूप में सजाकर पूजें।
- मंत्र जाप: भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे कि “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ नमः पार्वती पतये नमः।”
- पूजा में धूप, दीपक, फूल, दाना, दूध, दही, गंध, सिंदूर, अक्षत, बेलपत्र, फल, और मिश्री का प्रसाद शामिल करें।
- व्रत के दिन केवल एक बार भोजन करें, जिसमें अन्न और दूध का सेवन कर सकते हैं। व्रत के दिन अनाज के बिना अन्य व्यंजन खाना चाहिए।
- पानी: हलषष्ठी व्रत के दिन एक ही बार पानी पीने की अनुमति है, इसके बाद बिना पानी पिए रहना चाहिए।
- पूजा के बाद भगवान को प्रसाद चढ़ाकर उनकी कृपा की कामना करें और व्रत को समाप्त करें।
- हलषष्ठी व्रत का महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान शिव की पूजा करके आप उनके आशीर्वाद से संतान सुख, खुशियाँ और शांति प्राप्त कर सकते हैं। इस व्रत को आपके जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए विशेष रूप से माना जाता है और आपके परिवार की रक्षा करता है।