Lok Sabha elections : लोकसभा चुनाव आते-आते एक बार फिर से देश में किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने की तैयारी शुरू कर दी है.किसानों की ओर से आंदोलन की शुरूआत कर दी गई है,अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर किसानों ने बीते दिन संसद भवन घेरने की कोशिश की लेकिन उससे पहले ही नोएडा और दिल्ली एनसीआर के आस-पास किसानों की भारी भीड़ को रोक लिया गया.भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत इस बीच गुरुवार को जेवर क्षेत्र के मेहंदीपुर गांव में आयोजित पंचायत में पहुंचे जहां उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि,बजट में हर बार किसानों के साथ छल किया जाता है.सरकार किसानों को एमएसपी नहीं दे रही है इसलिए किसानों के मुद्दे पर 16 फरवरी को देश भर में चक्का जाम होगा और 14 मार्च को सभी से दिल्ली कूच का ऐलान किया गया है।
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16 फरवरी को भारत बंद में शामिल हो सभी किसान-राकेश टिकैत
राकेश टिकैत ने बताया कि,भारत बंद के दिन कोई किसान खेत में काम न करे क्योंकि अमावस्या को पहले भी किसान खेतों में काम नहीं करते थे 16 फरवरी को किसानों के लिए अमावस्या ही है इस दिन वो भारत बंद में शामिल हों.राकेश टिकैत ने बताया कि,16 फरवरी को भारत बंद में एमएसपी गारंटी योजना,बेरोजगारी,पेंशन और अग्निवीर योजना के मुद्दे को लेकर बुलाया गया है.इसमें संयुक्त किसान मोर्चा भी शामिल होगा।किसानों का आंदोलन दिल्ली-यूपी से लेकर पंजाब तक जारी है
.यूपी के किसानों ने बीते दिन अपने प्रदर्शन को लेकर नोएडा तक पहुंचे जहां पुलिस ने उन्हें संसद भवन पहुंचने से पहले रोक लिया.किसानों की मांग को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि,सरकार को अगर किसान दिखाई नहीं दे रहा है तो हमारे पास इसका कोई इलाज नहीं है.किसान तो चुनाव से पहेल भी है और चुनाव के बाद भी.हमारा चुनाव से कोई संबंध नहीं है,हमारा संबंध है किसानों की समस्याओं से.किसान की समस्या पहले भी थी और आज भी है.किसानों से जुड़ा मुद्दा चुनाव से अलग है.जब-जब भी समस्या होगी किसान आगे आएगा।
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कई विपक्षी दलों का भी मिल सकता है साथ!
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस,डीएमके सहित कुछ विपक्षी दलों का भी इस आंदोलन को समर्थन मिल सकता है। इससे इसका असर बढ़ सकता है। विशेषकर दक्षिण भारत और पूर्वी हिस्से में इसका असर होने की बात कही जा रही है। लोकसभा चुनावों के ठीक पहले इस तरह का प्रदर्शन कर किसान सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहे हैं। किसानों ने पश्चिम बंगाल चुनाव के पहले इसी तरह अभियान चलाया था।माना जाता है कि,तृणमूल कांग्रेस को इसका लाभ मिला था। अब लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भी किसानों का मुद्दा गरमाने की कोशिश की जा रही है।
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“सरकार ने किसानों के लिए किए कई बड़े काम”
किसान संगठनों की ओर से एक बार फिर से आंदोलन की चेतावनी को लेकर केंद्र सरकार का कहना है कि,किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए उन्होंने कई बड़े काम किए हैं.किसानों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपये की नकद आर्थिक सहायता के साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड देकर उनकी खाद-बीज खरीदने में सहायता की जा रही है,पीएम आवास योजना के तहत गरीब किसानों को आवासीय सहायता मुहैया कराई जा रही है,आयुष्मान योजना की मदद से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं,मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए गरीब किसानों को आर्थिक रुप से मजबूत करने की सफल कोशिश सरकार ने की है।