हरदोई संवाददाता : हर्षराज
हरदोई : पिहानी ब्लॉक के बिजगवां गांव में वर्षों से लंबित भ्रष्टाचार की जांच अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। थक हारकर शिकायतकर्ता ने लोकपाल मनरेगा में शिकायत कर जांच आख्या मांगी है। एक सप्ताह की रिपोर्ट पिहानी ब्लॉक के अधिकारियों ने डेढ़ महीने में भी उपलब्ध नहीं कराई है। जिसके बाद फिर लोकपाल मनरेगा ने सीडीओ,डीसी मनरेगा के माध्यम से एपीओ और बीडीओ से जांच रिपोर्ट मांगी है।
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बताया गया कि पिहानी ब्लॉक के बिजगवां गांव में 2015-16 से 2022-23 तक कराए गए कार्यों में करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया है। जिसमें गांव निवासी कौशल कुमार सिंह ने शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है। वर्षों से अधिकारियों की चौखट के चक्कर लगा रहे शिकायतकर्ता को अभी तक कोई जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। बिजगवां की जांच में तीन अधिकारी बदले गए लेकिन जांच नहीं पूरी हो पाई और न ही शिकायतकर्ता को कुछ बताया गया है। जिससे परेशान होकर शिकायतकर्ता कौशल कुमार सिंह ने विगत तीन माह पूर्व लोकपाल मनरेगा में शिकायत की। जिसमें लोकपाल मनरेगा द्वारा एपीओ और बीडीओ को 23जून को एक सप्ताह में बिंदुवार रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
अधिकारियों की लापरवाही आई सामने
वाबजूद इसके अभी तक ब्लॉक के अधिकारियों ने कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई है। दो सप्ताह बीतने के बाद फिर 31जुलाई को लोकपाल मनरेगा ने सीडीओ और डीसी मनरेगा के माध्यम से बिंदुवार रिपोर्ट मांगी है, लेकिन अभी तक किसी तरह की कोई रिपोर्ट उनको उपलब्ध नहीं कराई गई है। जिससे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही प्रतीत हो रही है। लोकपाल मनरेगा ने पत्र में जिक्र किया कि इतना लंबा समय व्यतीत होने के बाद भी अभी तक कार्यालय को आख्या उपलब्ध नहीं कराई गई है। जिससे परिवाद अनावश्यक रूप से लंबित है, जो कि मनरेगा अधिनियम 2005के नियमों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि पुन: इस पत्र के माध्यम से अपेक्षा की जाती है कि शिकायत के संबंध में एक सप्ताह में आख्या उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
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लोकपाल मनरेगा ने कही ये बात
इसके साथ ही लोकपाल मनरेगा ने कहा कि अगर सूचनाओं के अभाव में कोई विषम परिस्थितियां उत्पन्न होती है तो इसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे। लोकपाल मनरेगा के पत्र के डेढ़ महीने बाद भी सूचनाएं न उपलब्ध कराना अधिकारियों की हठधर्मी को प्रतीत करता है। अब देखना है होगा कि एक सप्ताह में जो सूचना मांगी गई है वह उपलब्ध होगी या फिर पत्र रद्दी में डालकर खानापूर्ति कर ली जाएगी। फिलहाल शिकायतकर्ता की माने तो अधिकारी करोड़ों के भ्रष्टाचार में हिस्सेदार है, इसलिए वह जांच कर आख्या रिपोर्ट नहीं देना चाहते है।