EC To Mallikarjun Kharge: 18वीं लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान मतदान हो चुके है. तीसरे चरण का मतदान काफी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इसमें 10 केंद्रीय मंत्रियों सहित 4 पूर्व सीएम की साख दांव पर रही. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्षी ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’गठबंधन के सहयोगी नेताओं को पत्र लिखकर चुनाव आयोग के रवैये और मतदान के आंकड़े जारी करने में देरी पर सवाल उठाए थे,अब इस पर चुनाव आयोग ने मल्लिकार्जुन खरगे को फटकार लगाई है.
चुनाव आयोग ने क्या कहा ?
बताते चले कि जिस दिन एक ओर देश में तीसरे चरण के वोटिंग हो रही थी,उसी दिन मल्लिकार्जुन खरगे चुनाव आयोग के रवैये और मतदान के आंकड़े जारी करने में देरी को लेकर सवाल उठाए थे. इस पर चुनाव आयोग की ओर से आज उन्हें फटकार लगाई गई है. चुनाव आयोग ने उनके बयानों को चुनाव संचालन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर आक्रामकता करार दिया. चुनाव आयोग ने कहा कि मतदान से जुड़ा डेटा जारी करने के संबंध में आरोप निराधार हैं. इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में भ्रम पैदा होता है. आयोग ने कहा कि ऐसे बयानों से चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. राज्यों में बड़ी चुनाव मशीनरी इससे हतोत्साहित भी हो सकती है.
निर्वाचन आयोग ने खड़गे के बयान की आलोचना की
आपको बता दे कि, निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के उस बयान की आलोचना की है जिसमें उन्होंने चुनाव प्रक्रिया के दौरान मतदान के लिए कुल मत और कुल डाले गए मतों की संख्या समय से घोषणा न करने पर आयोग की मंशा पर सवाल उठाए थे. इस पर चुनाव आयोग का कहना है कि खड़गे का बयान चुनाव प्रक्रिया पर असर नकारात्मक असर डालेगा. आयोग ने खड़गे की प्रतिक्रिया को निराधार बताया है. मतदान के दौरान डाटा बताने से बेवजह भ्रम की स्थिति होगी. वैसे भी आयोग के आधिकारिक एप वोटर टर्न आउट के जरिए आम जनता को मत प्रतिशत की लाइव जानकारी मिलती रहती है.
चुनाव आयोग ने खड़गे के पत्र का संज्ञान लिया
बता दे कि, चुनाव आयोग ने मतदाता मतदान डेटा पर इंडिया गठबंधन के नेताओं को संबोधित खड़गे के पत्र का संज्ञान लिया और इसे गैरजरूरी बताया है. आयोग ने खड़गे की दलीलों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया. दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने INDIA ब्लॉक के अपने साथी दलों को एक चिट्ठी लिखी थी.जिसमें उन्होंने कहा था कि ये लोकसभा चुनाव ‘लोकतंत्र और संविधान’ बचाने की लड़ाई है. उन्होंने चुनाव आयोग के चिंताजनक रवैये के बारे में लिखते हुए कहा था कि अंतिम मतदान प्रतिशत के आंकड़े जारी करने में हो रही अत्यधिक देरी और उस डेटा में पाई गई विसंगतियां इन चुनावों की स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रकृति पर गंभीर संदेह पैदा कर रही है.
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