फूड सेफ्टी एंड ड्रग एड्मिनिस्ट्रेशन (FSDA) की एक टीम ने बलिया के अंदर 21 क्विंटल नकली आलू जब्त किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यहां सफेद आलू को लाल रंग से डाई करके ऊंचे दाम पर बेचा जा रहा था। जो सेहत के लिहाज से काफी बुरा हो सकता है।
आलू हर घर में की ऐसी सब्ज़ी है जिसके बिना हर सब्ज़ी अधूरी है जिसका इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा होता है। हम इसे सब्जी, चिप्स, पापड़, समोसा और न जाने कितने पकवान बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। मगर कारोबारी मुनाफा कमाने के लिए केमिकल से जल्दी पकाकर या कलर करके ऊंचे दामों पर बेच देते हैं। पर क्या आपको पता है कि नकली आलू और हानिकारक कलर सेहत के लिए बहुत खराब हो सकता है और कैंसर का कारण भी बन सकता है।
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हानिकारक केमिकल का होता है इस्तेमाल
सब्जियों को कलर करने के लिए हानिकारक केमिकल इस्तेमाल होते हैं। इनका सेवन आपकी बॉडी सेल्स को खराब कर देता है और बहुत ज्यादा बीमार बना सकता है। नकली आलू को हाथ में लेते ही पहचाना जा सकता है, इस तरीके के बारे में Food Safety and Standards Authority of India ने बताया है।FSSAI का कहना ये है कि फल-सब्जी को जल्दी पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल किया जाता है। इस केमिकल को एसिटिलीन गैस या मसाला भी कहा जाता है। कैल्शियम कार्बाइड में आर्सेनिक और फॉस्फोरस होते हैं, जो उल्टी, डायरिया, खूनी दस्ती, सीने में जलन, पेट में जलन, अत्यधिक प्यास या कमजोरी कर सकते हैं। इसलिए इस केमिकल को बैन कर रहा है।
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मौजूद आर्सेनिक कैंसर का कारण बनता है
कैल्शियम कार्बाइड के अंदर मौजूद आर्सेनिक कैंसर का कारण बन सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि इसका लंबे समय तक संपर्क रहने से ब्लैडर और फेफड़ों के कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है। हालांकि यह दूसरे कैंसर भी कर सकता है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) के अनुसार अगर आर्सेनिक पीने के पानी के अंदर मौजूद है तो भी कैंसर कर सकता है।
एक रपोट के मुताबिक आलू को लाल डाई से रंगा जा रहा था। इसके लिए अक्सर Red 40 नाम की डाई का इस्तेमाल होता है। कुछ रिसर्च कहती हैं कि इसके कण शरीर के अंदर जाकर बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं और कैंसर करने वाले कार्सिजेनिक माने जाते हैं। आलू को लाल डाई से रंगा जा रहा था। इसके लिए अक्सर Red 40 नाम की डाई का इस्तेमाल होता है। कुछ रिसर्च कहती हैं कि इसके कण शरीर के अंदर जाकर बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं और कैंसर करने वाले कार्सिजेनिक माने जाते हैं।अगर आलू पर नकली रंग चढ़ाया गया है तो उसका भी एक तरीका है। आलू खरीदते हुए आलू को हाथों से मसलें, अगर यह किसी तरह का रंग छोड़ता है तो यह नकली हो सकता है। इसके अलावा, आलू को एक कटोरा पानी में कुछ देर के लिए छोड़ दें। इसे हाथों से घिसें और रंग की जांच करें।