- पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के दृष्टिगत फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए तहसील स्तर पर मोबाईल स्क्वाईड्स का गठन
- जनजागरूकता कें लिए करें कृषक गोष्ठियों एवं मेलों का आयोजन
- माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का हो पालन
- स्वास्थ्य सुरक्षा में लाभ के साथ ही कृषक बंधुओं की आय में होगी वृद्धि
सहारनपुर संवाददाता- नज़म मंसूरी
Saharanpur: सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों एवं शासन द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुपालन के क्रम में जिलाधिकारी डॉ0 दिनेश चन्द्र ने तहसील स्तर पर फसल अवशेष न जलायें जाने के लिए उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तहसीलवार मोबाईल स्क्वाईडस का गठन किया है, उन्होंने उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित मोबाइल स्क्वाईड्स को निर्देश दिये है कि फसल अवशेष जलाते हुए पाये जाने पर नियमानुसार दण्डित करने की कार्यवाही करने एवं फसल अवशेष जलाये जाने की स्थिति में किसी प्रकार की वसूली निर्धारित होती है, तो ऐसी स्थिति में समस्त नायब तहसील/तहसीलदार के द्वारा प्रक्रिया सम्पन्न की जायेगी।
मौके पर अधिकारियों ने दी जानकारी
जिलाधिकारी डॉ0 दिनेश चन्द्र ने जानकारी देते हुए बताया कि तहसील सदर के विकास खण्ड पुंवारका एवं बलियाखेडी में पर्यवेक्षण अधिकारी एवं अध्यक्ष उप जिलाधिकारी सदर, तहसील नकुड के विकास खण्ड नकुड, गंगोह एवं सरसावा में पर्यवेक्षण अधिकारी एवं अध्यक्ष उप जिलाधिकारी नकुड, तहसील बेहट के विकास खण्ड मुजफ्फराबाद एवं सढौली कदीम में पर्यवेक्षण अधिकारी एवं अध्यक्ष उप जिलाधिकारी बेहट, तहसील देवबन्द के विकास खण्ड देवबन्द एवं नागल में पर्यवेक्षण अधिकारी एवं अध्यक्ष उप जिलाधिकारी देवबन्द तथा तहसील रामपुर के विकास खण्ड रामपुर मनिहारान एवं नानौता में पर्यवेक्षण अधिकारी एवं अध्यक्ष उप जिलाधिकारी रामपुर मनिहरान होंगे।
तहसीलवार मोबाइल स्वाईड्स में सदस्य ग्राम्य विकास से संबंधित विकास खण्ड के खण्ड विकास अधिकारी, राजस्व विभाग से संबंधित तहसील के तहसीलदार, कृषि विभाग से तहसील सदर में उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी सदर, तहसील नकुड में उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी नकुड, तहसील बेहट में उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी बेहट तथा तहसील देवबन्द एवं रामपुर में उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी देवबन्द, गन्ना विभाग से संबंधित ज्येष्ठ गन्ना निरीक्षक और पुलिस विभाग से संबंधित क्षेत्र के थानाध्यक्ष है।
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डीएम ने किसानों की गोष्ठी का किया आयोजन
जिलाधिकारी ने कहा कि फसल अवशेष को जलाये जाने से रोकने के लिए कृषि विभाग द्वारा फसल कटाई से पूर्व प्रत्येक न्याय पंचायत, ब्लॉक स्तर, तहसील स्तर, जनपद स्तरीय कृषक गोष्ठियों एवं मेलों का आयोजन करते हुए अवशेष प्रबन्धन योजना का प्रचार-प्रसार कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि न्याय पंचायतवार कृषकों के व्हाट्सएप ग्रुप पर फसल अवशेष प्रबन्धन के विषय में कृषकों को जागरूक करें। उन्होंने राजस्व विभाग को कृषि अपशिष्ट जलाने वाले व्यक्ति के विरूद्ध पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अथवा अर्थदण्ड वसूले जाने के निर्देश दिए।
राजस्व विभाग के अन्तर्गत लेखपालों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर कृषि अपशिष्ट को जलाये जाने की घटना होती है तो दोषी पाए जाने के संबंध में साक्ष्यों सहित नायब तहसीलदार/तहसीलदार द्वारा संबंधित के विरूद्ध 03 दिन के अन्दर सुस्पष्ट कारण बताओ नोटिस जारी किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में नायब तहसीलदार/तहसीलदार के स्तर पर सुनवाई के बाद दोषी पाए जाने के फलस्वरूप पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति/अर्थदण्ड का अधिरोपण किया जायेगा।
दिनेश चन्द्र ने बताया कि कृषि भूमि का क्षेत्रफल 02 एकड से कम होने की दशा में अर्थदण्ड 2500 रूपए प्रति घटना। 02 एकड से अधिक किन्तु 05 एकड से कम क्षेत्रफल होने की दशा में अर्थदण्ड रूपये 05 हजार रूपए प्रति घटना तथा कृषि भूमि का क्षेत्रफल 05 एकड से अधिक होने की दशा में अर्थदण्ड रूपये 15 हजार रूपए प्रति घटना निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि हरित अधिकरण के आदेशों के क्रम में उल्लंघनकर्ताओं से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में वसूले गये प्रतिकर को पृथक खाता खुलवाकर जमा कराया जाये।
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फसल अवशेष जलाते मिले तो होगी कार्यवाई
जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि ग्राम्य विकास विभाग द्वारा विकास खण्ड स्तर पर खण्ड विकास अधिकारी द्वारा अपने अधिकारिता क्षेत्र के समस्त ग्राम प्रधान एवं सचिव के माध्यम से कृषकों द्वारा फसल अवशेष जलाये जाने पर लगने वाले अर्थ दण्ड से अवगत करायें। उन्होंने कहा कि किसी ग्राम पंचायत में अवशेष जलाने की घटना पर ग्राम प्रधान एवं सचिव की भी जिम्मेदारी निर्धारित की जायेंगी।
इसी प्रकार जिला गन्ना अधिकारी अपने क्षेत्रीय कर्मचारियों एवं गन्ना समितियों तथा चीनी मिलों के साथ समन्वय स्थापित कर अवशेष को जलाने से रोकने के लिए किसानों को जागरूक करें। गन्ने की पाती जलाने एवं अर्थ दण्ड तथा पराली के खेत में ही प्रबन्धन के लाभ को अवगत कराने के साथ-साथ गन्ना समितियों एवं चीनी मिलों के माध्यम से वेस्ट डिकम्पोजर का वितरण भी कराया जाना सुनिशिचत करें।