Diwali Celebration Week 2024 : श्राद्ध खत्म होते ही त्योहार का सीजन शुरू हो गयाl जिसमे दिवाली सबसे खास और पवित्र त्योहार हैl ये महापर्व शुरू होने में बहुत कम का समय बचा है। दिवाली का पर्व लगातार 5 दिनों तक मनाया जाता हैl जिसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल हैंl आपको पता होगा कि, हमारे हिन्दू शास्त्र में हर दिन का एक अपना अलग महत्व और परंपरा हैंl हर दिन के पीछे एक महत्वपूर्ण कथा है जो सबकी आस्था से जुड़ हुआ है, जो हमारी भारतीय संस्कृति और परंपराओं को समृद्ध करता हैl यह तक की इस पांच दिन के त्योहार को त्योहारों का राजा भी कहा जाता हैl
धनतेरस क्यों मनाया जाता है क्या है इसका महत्व
दिवाली के पहले पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती हैl जो कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को होता हैl इस दिन समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में से एक आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरी हाथ में अमृत-कलश लिए प्रकट हुए थे। इस दिन सभी लोग धन्वंतरी जी का पूजन करते हैं और वर मांगते हैं इस दिन का महत्व स्वास्थ्य और समृद्धि से जुड़ा हैl धनतेरस के दिन सोने, चांदी, बर्तन या अन्य वस्तुएं खरीदने का विधान है इसलिए इस दिन खरीदारी को शुभ माना जाता हैl
आज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर आये थे। सभी गृहणियां इस दिन से अपनी चौखट पर दीपक जलाया करती हैं, जिससे यमराज रास्ते में रोशनी देखकर खुश हों और उनके परिवार के लोगों के प्रति विशेष दया रखें। इस साल यह पर्व 29 अक्टूबर 2024 मंगलवार को मनाया जाएगा। इसी दिन प्रातः से ही त्रयोदशी तिथि आरम्भ हो जाएगी। अतः उदय व्यापिनी त्रयोदशी होने के कारण प्रदोष व्रत के साथ-साथ प्रदोष काल में दिया जलाने का महत्व रहेगा।
नरक चतुर्दशी का संबंध श्रीकृष्ण से
धनतेरस के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है इस दिन भगवान श्रीराम के परम भक्त और पराक्रम के प्रतीक हनुमान की जयंती का दिन भी होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी इस दिन अत्याचारी और दंभी नरकासुर का वध करके उसकी कैद से सोलह हजार कन्याओं और अन्य कैदियों को मुक्त किया था। इस असुर ने अपनी अंतिम इच्छा बड़ी विनय के साथ प्रकट की थी। भगवान श्रीकृष्ण ने वर दिया कि यह दिन सदैव नरक चौदस के नाम से याद किया जाएगा। इसे रूप चतुर्दशी भी कहते हैं।इस दिन लोग सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं और इसे नरक स्नान कहा जाता है ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती हैl इस दिन पांच या सात दीये जलाने की परंपरा है। इस बार यह पर्व 30 अक्टूबर 2024 बुधवार को मनाया जाएगा।
दिवाली का दिन ऐतिहासिक घटनाओं से भरपूर
दैदीप्यमान मंजूषा का उल्लास और उत्साह से भरा महान पर्व ‘दीपावली’ और महालक्ष्मी पूजन। कार्तिक अमावस्या के दिन श्रीराम लंका विजय कर, सीता-लक्ष्मण-हनुमान व अन्य साथियों के साथ आकाश मार्ग से अयोध्या पधारे थे। दिवाली का दिन धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए खास माना जाता है दीपावली की रात घरों में दीप जलाए जाते हैं और लोग अपने घरों को साफ-सुथरा और सुंदर सजाते हैं, ताकि देवी लक्ष्मी का आगमन हो सके इस दिन व्यापारी अपने बही-खाते की पूजा करते हैंl
और नए साल की शुरुआत करते हैं ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और उन घरों में वास करती हैं, जो साफ और सुंदर होते हैंl इस दिन जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर अहिंसा की प्रतिमूर्ति भगवान महावीर स्वामी भी इसी दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे। और महान समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद ने भी आज ही के दिन निर्वाण प्राप्त किया था। राम के स्वरूप को मानने वाले स्वामी रामतीर्थ परमहंस का तो जन्म व जल समाधि दोनों ही दिवाली के दिन हुए। सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद जी और पराक्रमी राजा विक्रमादित्य ने भी आज ही के दिन विजय पर्व मनाया था।
गोवर्धन पर्व अन्नकूट के नाम से विख्यात
गोवर्धन पर्व कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता हैl यह पर्व भारत की कृषि-प्रधानता, पशुधन, उद्योग व व्यवसाय का प्रतीक है। आपको बता दे कि, इसी दिन श्री कृष्ण ने अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया थाl जिससे वनस्पति और लोगों की इंद्र के प्रकोप से रक्षा की हुई थी। यह गोवर्धन पर्व अन्नकूट के नाम से विख्यात है। इस दिन सभी प्रकार के भोजन बनाए जाते हैं। घी, दूध, दही से भरपूर का भोग भगवान को लगाया जाता है। शिल्पकार व श्रमिक वर्ग आज के दिन विश्वकर्मा का पूजन भी श्रद्धा भक्तिपूर्वक करते हैं। आज चहुंमुखी विकास और वृद्धि की कामना से दीप जलाए जाते हैं। इस वर्ष यह पर्व 2 नवंबर 2024, शनिवार को मनाया जाएगा।
यमुना यमराज के स्नेह का प्रतीक भाई-दूज
दिवाली के पांचवें और अंतिम दिन को भाई दूज कहा जाता है स्नेह, सौहार्द व प्रीति का प्रतीक हैl ये दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित होता है भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए पूजा करती हैं और भाइयों को तिलक करती हैंl इस दिन कार्तिक शुक्ल को यमराज अपने दिव्य स्वरूप में अपनी भगिनि यमुना से भेंट करने पहुंचते हैं। यमुना यमराज को मंगल तिलक कर स्वादिष्ट व्यंजनों का भोजन कराकर आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इस दिन बहन-भाई साथ-साथ यमुना स्नान करें तो उनका स्नेह सूत्र अधिक सुदृढ़ होगा। इस बार भैया दूज 3 नवंबर रविवार को मनाया जाएगा।