लखनऊ संवाददाता- विवेक शाही
लखनऊ: जिलाधिकारी कार्यालय सभागार में जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी रिया केजरीवाल की अध्यक्षता में सोमवार को प्रसवपूर्व निदान तकनीकी,विनियमन एवं दुरुपयोग निवारण अधिनियम(पीसीपीएनडीटी), 1994 की जिला सलाहकार समिति की बैठक आयोजित हुई ।
मुख्य विकास अधिकारी ने निर्देश दिए कि पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी डा. के. डी. मिश्रा ने कहा कि पीसीपीएनडीटी के मद में जो भी रकम है उसका उपयोग अधिनियम से संबंधित विकास कार्यों पर किया जाए। जिसके जो भी पेपर वर्क होना है वह शीघ्र पूरा करें। पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी डा.के.डी.मिश्रा ने बताया कि जनपद में लगभग 500 पंजीकृत डायग्नोस्टिक सेन्टर हैं। उन्होंने समिति को डायग्नोस्टिक सेन्टर के पंजीकरण की प्रक्रिया की भी जानकारी दी।
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इस मौके पर अवंतिबाई जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. संघमित्रा, बलरामपुर अस्पताल से बाल रोग विशेषज्ञ डा. हिमांशु चतुर्वेदी, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेडियोडायगनोसिस विभाग से ज्योति, सहायक निदेशक, सूचना दिनेश गर्ग, जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार त्रिपाठी, पीसीपीएनडीटी के जिला समन्वयक शादाब, विधिक सलाहकार प्रदीप कुमार मिश्रा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से संजीव कुमार श्रीवास्तव, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च(सीफॉर) से ज्योति मिश्रा और राष्ट्र सेविका समिति से मधुबाला मौजूद रहीं।
क्या है पीसीपीएनडीटी अधिनियम , 1994 ?
भ्रूण हत्या रोकने के लिये सरकार यह लागू किया है। इस अधिनियम के तहत गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करना या करवाना कानूनन दंडनीय अपराध है। साथ ही www.pyaribitia.com पर अल्ट्रासाउंड केंद्र द्वारा फॉर्म-एफ भरकर अपलोड किया जाता है। इसमें अल्ट्रासाउंड करने और करवाने वाले का सारा विवरण होता है और एक पंजीकरण नंबर भी होता है। इस माध्यम से अल्ट्रासाउंड करवाने के उद्देश्य का भी पता चलता है।