Lucknow News: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डेंगू और मलेरिया के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में ही डेंगू के 45 नए मामले सामने आए हैं, जिससे अब तक कुल संक्रमितों का आंकड़ा 1979 पर पहुंच चुका है। जिस गति से मामले बढ़ रहे हैं, इसे देखते हुए आने वाले दिनों में यह आंकड़ा 2000 पार करने की आशंका है। इस बढ़ते प्रकोप से जहां शहर के लोगों में डर है, वहीं प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं।
मलेरिया के मामलों में भी बढ़ोतरी, कुल 471 मरीज मिले
लखनऊ में डेंगू के साथ मलेरिया का खतरा भी बढ़ रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, मलेरिया से संक्रमित मरीजों की संख्या 471 तक पहुंच चुकी है। डेंगू और मलेरिया का यह संयुक्त आक्रमण प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। दोनों बीमारियों के फैलने के बावजूद, शहर में साफ-सफाई और मच्छरों के प्रकोप पर नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायों पर सवाल उठने लगे हैं।
प्रभावित क्षेत्रों में आलमबाग सबसे आगे
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ के आलमबाग क्षेत्र में डेंगू के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। आलमबाग से कुल आठ नए संक्रमित मिले हैं, जबकि अलीगंज और इंदिरानगर में सात-सात नए मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, ऐशबाग और रेड क्रॉस क्षेत्र से चार-चार मामले सामने आए हैं। बक्शी का तालाब और ट्यूरियागंज इलाके में तीन-तीन मरीज मिले हैं। यह स्थिति दिखाती है कि लखनऊ के विभिन्न हिस्सों में डेंगू तेजी से फैल रहा है।
प्रशासन की तैयारी पर सवाल, क्या फॉगिंग पर्याप्त है?
लखनऊ प्रशासन डेंगू और मलेरिया के प्रकोप से निपटने के लिए जगह-जगह फॉगिंग करा रहा है, ताकि मच्छरों के प्रकोप पर नियंत्रण किया जा सके। इसके साथ ही एंटी लार्वा छिड़काव भी विभिन्न इलाकों में समय-समय पर कराया जा रहा है। रकाबगंज, डालीगंज, चौक, ऐशबाग, आलमबाग, अलीगंज, राजाजीपुरम, जानकीपुरम और आशियाना जैसे इलाकों में फॉगिंग की जा रही है। हालांकि, शहर में बढ़ते मामलों को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या फॉगिंग का यह काम पर्याप्त है? क्या स्वास्थ्य विभाग के ये कदम पूरी तरह से प्रभावी साबित हो रहे हैं?
साफ-सफाई के अभाव में फैल रहा मच्छर जनित रोग
डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का मुख्य कारण मच्छरों की बढ़ती संख्या है। बारिश के बाद कई क्षेत्रों में जलभराव की समस्या बनी रहती है, जिससे मच्छरों को पनपने का मौका मिलता है। स्थानीय प्रशासन को समय रहते जलभराव को साफ करना चाहिए, ताकि मच्छरों का प्रकोप कम किया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि नगर निगम को इस दिशा में और अधिक तत्परता से काम करने की आवश्यकता है। हालांकि प्रशासन ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन इनका प्रभावी परिणाम अभी नहीं दिख रहा है।
स्कूलों में भी बढ़ी जागरूकता, बच्चों को सुरक्षित रखने के प्रयास
शहर के स्कूलों में भी डेंगू और मलेरिया से बचाव के लिए फॉगिंग की जा रही है। बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने स्कूलों में जागरूकता अभियान भी चलाया है। बच्चों को साफ-सफाई का महत्व समझाया जा रहा है और मच्छरों से बचाव के तरीके बताए जा रहे हैं। बच्चों और उनके परिजनों को मच्छर रोधी क्रीम का उपयोग करने और पूरी आस्तीन के कपड़े पहनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग को सख्त कदम उठाने की जरूरत
लखनऊ में डेंगू और मलेरिया के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। केवल फॉगिंग और एंटी लार्वा छिड़काव से ही इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। इसके लिए नियमित रूप से सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करना, पानी के ठहराव को खत्म करना और लोगों में जागरूकता बढ़ाना अनिवार्य है। प्रशासन को चाहिए कि वह अस्पतालों में बेहतर इलाज सुविधाएं उपलब्ध कराए और मरीजों के लिए पर्याप्त बेड की व्यवस्था करे।
लखनऊ में डेंगू और मलेरिया से राहत कब मिलेगी?
डेंगू और मलेरिया का यह संकट लखनऊ के लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। मच्छरों के बढ़ते प्रकोप के कारण संक्रमण की चपेट में आने का खतरा हर किसी पर मंडरा रहा है। हालांकि प्रशासन प्रयासरत है, लेकिन मामलों की संख्या देखते हुए अब सवाल यह उठता है कि क्या ये प्रयास पर्याप्त हैं? क्या लखनऊ के लोग जल्दी ही इस डेंगू और मलेरिया के संकट से राहत पा सकेंगे?
आने वाले दिनों में अगर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन अपनी रणनीति में और बदलाव नहीं करते हैं, तो डेंगू और मलेरिया का यह प्रकोप एक गंभीर स्थिति में पहुंच सकता है। लखनऊवासियों को चाहिए कि वे भी सावधानी बरतें, साफ-सफाई का ध्यान रखें और मच्छरों से बचने के हर संभव उपाय अपनाएं।