Madhya Pradesh: सरकार भले ही गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित डिलेवरी कराने के लिए हर संभव प्रयास कर स्वास्थ्य केन्द्रों पर लाखों रुपए का बजट मुहैया करा रही है. दूसरी ओर खनियाधाना स्वास्थ्य केंद्र पर डीजल बचाने के लिए प्रबंधन प्रसूताओं के जीवन से खिलवाड़ करने से नहीं चूक कर रहा। मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में एक प्रसूता की डिलीवरी कराने का मामला सामने आया है.
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अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं शून्य
खनियांधाना स्वास्थ्य केन्द्र वैसे तो जिले में सबसे खराब अस्पताल में गिनती होती है। इस अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं शून्य है। बीते रोज रात 8 बजे स्वास्थ्य केन्द्र में एक गर्भवती महिला की डिलीवरी मोबाइल की सहायता से की गई. क्योंकि स्वास्थ्य केन्द्र में लाइट नहीं थी, लेकिन जनरेटर तो मौजूद था. उसका उपयोग नहीं किया गया। क्योंकि जो सरकार की तरफ से डीजल आता है उसकी बचत स्वास्थ्य केंद्र के जिम्मेदारों के द्वारा की जाती है।
नर्स के हाथ में मोबाइल पकड़ाकर कराई डिलीवरी
रानी देवी निवासी चमरौआ ने बताया कि मैं अपनी बहू की डिलीवरी कराने खनियांधाना के स्वास्थ्य केंद्र में लाई थी. करीबन रात के 8 बजे की बात हैं हम लोग स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे जहां लाइट की कोई व्यवस्था नहीं थी बस अंधेरा था। इसलिए डॉक्टर ने नर्स के हाथ में मोबाइल पकड़ाकर डिलीवरी कराई। जिसमें प्रसूता को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ा, क्योंकि स्वास्थ्य केन्द्र में लाइट नहीं थी. जिसके बाद प्रसूता एक तो पीड़ा को झेल ही रही थी और दूसरी ओर भीषण गर्मी की मार झेलने को मजबूर थी।
गुस्साए बुजुर्ग ने कहा कि इस अस्पताल में किसी चीज की व्यवस्था नहीं हैं हम जैसे बुजुर्ग ऐसे भटक रहे हैं। खनियांधाना जिले की सबसे बड़ी तहसील होने के बाद भी कोई व्यवस्था नहीं हैं. जबकि खनियांधाना में 101 के लगभग पंचायत हैं और 500 से ज्यादा गांव हैं। सभी गांव वाले खनियांधाना के स्वास्थ्य केंद्र में ही अपना इलाज कराने के लिए आते हैं और यहां इतनी लापरवाही बरती जायेगी तो हम लोग कहां जायेंगे।
वाटर कूलर होने के बावजूद गर्म पानी पीने को मजबूर
स्वास्थ्य केन्द्र में बाटर कूलर होने के बाद भी हमें इस 45 डिग्री के टेम्प्रेचर में खौलता हुआ गर्म पानी पीना पड़ रहा हैं, जबकि वाटर कूलर अस्पताल में मौजूद हैं. बस लाइट की बचत करने के लिए परिजन और हमारे मरीजों को गर्म पानी पिलाया जा रहा हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य केन्द्र में बाथरूम होने के बाद भी उसमे ताला डाल दिया जाता हैं, इन सब चीजों से डॉक्टर को कोई फर्क नहीं पड़ता की मरीज रात में दिन में शौच करने कहा जायेगा। बस वह तो ताला डालकर अपने घर चला जाता हैं। इतनी बड़ी लापरवाही बरती जा रही हैं।
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