दिल्ली में हो रहे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिम एशिया संघर्ष को लेकर कहा कि, भारत ने कई बार दोनों देशों के बीच संवाद और संचार की भूमिका निभाई है। इस संघर्ष को लेकर ग्लोबल साउथ देश काफी परेशान हैं। इससे वैश्विक समाज और वैश्विक अर्थव्यवस्था भी तनाव में है।
संयुक्त राष्ट्र में स्पष्ट रूप से दे रही हैं दिखाई
ग्लोबल साउथ (Global South) देश चाहते हैं कि कोई इसके बारे में कुछ कहने की पहल करे और वे मानते हैं कि भारत ही ऐसा देश है जो उनकी चिंताओं के समझता है और इस तनाव को दूर करने की क्षमता रखता है। इसका ही परिणाम है कि हमारी बहुत सी पहल संयुक्त राष्ट्र में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं। हम सभी प्रमुख देशों से जुड़े हुए हैं। हमें वैश्विक राजनीति के प्रति अधिक जिम्मेदारी की भावना वाले देश के रूप में देखा जाता है और यह भारत के अपने विकास का हिस्सा है।
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हम अभी भी संपर्क में हैं……
यूक्रेन संघर्ष को लेकर उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से तीन बार मुलाकात की। वह रूसी राष्ट्रपति पुतिन (Russian President Putin)से भी एक बार मिले। मैनें और एनएसए ने भी दोनों से कई बार बात की है। हम अभी भी संपर्क में हैं। हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हम ऐसे देश और हमारे प्रधानमंत्री उनमें से हैं जो कीव और मॉस्को जाने और दोनों नेताओं से बात करने और देखने की क्षमता रखते हैं कि सामान्य बिंदु क्या हो सकता है? हम यह विकसित करने का प्रयास करते हैं और देखते हैं कि क्या चीजें बेहतर हो सकती हैं?
जो पूरी तरह से बाजार के साथ तालमेल नहीं रखती, बल्कि जगह घेरती है
संयुक्त राष्ट्र को लेकर विदेश मंत्री Affairs Minister S Jaishankar बोले कि संयुक्त राष्ट्र एक ऐसी पुरानी कंपनी की तरह है, जो पूरी तरह से बाजार के साथ तालमेल नहीं रखती, बल्कि जगह घेरती है। यह पूरी तरह से बहुपक्षीय है, लेकिन जब यह प्रमुख मुद्दों पर कदम नहीं उठाता है, तो देश अपने तरीके ढूंढते हैं। पिछले पांच-दस सालों में सबसे बड़ी चीज जो हम सबके जीवन में हुई, वह थी कोविड। इस बारे में सोचें कि संयुक्त राष्ट्र कोविड पर क्या करता है?
अपना काम किया या COVAX जैसी पहल
मुझे लगता है कि इसका कोई उत्तर नहीं है।उन्होंने ये भी कहा कि आज दुनिया में दो संघर्ष चल रहे हैं, उसे लेकर भी यह केवल एक दर्शक की भूमिका में है। कोविड के दौरान देशों ने या तो अपना काम किया या COVAX जैसी पहल की। देशों का संयोजन तेजी से बढ़ रहा है। क्योंकि कई देश ऐसे हैं जो एक साथ आते हैं और कहते हैं सहमत हों और चलें, इसे करें। मुझे लगता है कि संयुक्त राष्ट्र जारी रहेगा, लेकिन तेजी से एक गैर-संयुक्त राष्ट्र अपना स्थान बना रहा है।