Delhi Air Pollution: दिल वालों की दिल्ली में दिवाली से पहले ही सबकी हालत बिगड़ने लगी है दिल्ली का वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और इसके साथ-साथ हृदय और मस्तिष्क की बीमारिया भी तेजी से बढ़ रही हैं हर बार दिवाली के बाद वायु प्रदूषण होता था मगर इस बार दिवाली से पहले ही राजधानी दिल्ली-एनसीआर की हवा बिगड़ने लगी है। आपको बता दें कि,गुरुवार को दोपहर तक यहाँ कई जगह धुंध छाई हुई थी मगर शुक्रवार (18 अक्टूबर) को दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर खराब होने की संभावना बन रही है जिसे सेहत के लिए कई प्रकार से हानिकारक माना जा रहा है। सर्दियां शुरु होने से पहले ही बिगड़ते हुए एक्यूआई को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से बराबर सावधानी बरतते रहने की अपील की है।
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पटाखों के धुएं से वायु गुणवत्ता खराब हो रही
पड़ोसी राज्यों में पटाखों के धुंए से हर साल दिवाली और उसके बाद कुछ महीनों तक दिल्ली में वायु गुणवत्ता बेहद खराब स्तर की दर्ज की जाती रही है। आपको बता दें कि,स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने सभी लोगों को प्रदूषण से बचने की सलाह दी है। वायु प्रदूषण के कारण सेहत पर बहुत ज्यादा और लम्बा असर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से हो सकता है।
सेहत पर हो रहा प्रदूषण का असर
प्रदूषण की वजह से लोगों को लगातार खांसी और छींक आ रही है एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि,सांस लेने में दिक्कत और त्वचा की समस्याओं के साथ आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती हुई दिख रही है।AIIMS दिल्ली में ईएनटी विभाग में डॉक्टरों का कहना है कि,नाक में जलन, गले में खरास और लगातार सूखी खांसी के साथ आने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ती गति देखी जा रही है।प्रदूषण का असर कभी आंख में, गले में, सांस लेने में, लंग्स में होता है।
अगर बढ़ते प्रदूषण की गतिविधि की बात करें तो 17 से 19 अक्टूबर तक प्रदूषण का स्तर खराब रहेगा और आगे इसके बाद भी अगले 6 दिनों तक इसका स्तर खराब से सामान्य रह सकता है।17 अक्टूबर को हवाओं की गति 6 से 12 किमी प्रति घंटे, 18 अक्टूबर को 10 से 12 किमी और 19 अक्टूबर को 12 से 10 किमी प्रति घंटे की रह सकती है।
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मस्तिष्क को पहुँचता है नुकसान
वायु प्रदूषण मस्तिष्क को खराब कर देता है जिसमें संरचनात्मक परिवर्तन होने का खतरा ज्यादा रहता है।यही नहीं बच्चों में भी तंत्रिकाओं के विकास को प्रभावित करने के साथ-साथ मस्तिष्क में सूजन पैदा करने का काम करता है। इस तरह से अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का प्रमुख कारण बन जाता है वायु गुणवत्ता खराब होने से भूलने की बीमारी, एकाग्रता में कमी और संज्ञानात्मक गिरावट का भी कारण बन सकती है।
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ह्रदय की बीमारियों का भी बढ़ता है खतरा
बढ़ते वायु प्रदूषण का प्रभाव सिर्फ मस्ष्तिक पर ही नहीं बल्कि इसका दुष्प्रभाव हृदय पर भी देखा गया है हवा में मौजूद छोटे कण जैसे पीएम 2.5 के कारण आपके हृदय स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर होने का खतरा रहता है।यह कण, फेफड़ों में गहराई तक जाकर रक्त वाहिकाओं और हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि, इस तरह के प्रदूषित वातावरण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से हृदय संबंधी रोग, दिल का दौरा पड़ने और हृदय रोगों से मृत्यु का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है।