Delhi Pollution: दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बड़ा कदम उठाया है। शीर्ष अदालत ने सभी एनसीआर राज्यों को निर्देश दिया है कि वे ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चौथे चरण को सख्ती से लागू करें। इसके तहत दिल्ली-एनसीआर में 12वीं तक के सभी स्कूल तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश दिए गए हैं। जस्टिस अभय एस. ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इसे राज्यों का संवैधानिक कर्तव्य बताया और कहा कि नागरिकों को प्रदूषण-मुक्त वातावरण देना सरकारों की जिम्मेदारी है।
‘बिना अनुमति GRAP-4 के प्रतिबंध न हटाएं’
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के राज्यों को चेतावनी देते हुए कहा कि GRAP-4 के तहत लागू किए गए प्रतिबंध बिना अदालत की अनुमति के नहीं हटाए जा सकते। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदूषण नियंत्रण उपाय लागू करने में तत्परता दिखाने की जरूरत है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि आयोग को मौसम के सुधार का इंतजार करने के बजाय तुरंत कदम उठाने चाहिए। सिर्फ इतना ही नहीं सीएक्यूएम के आदेश के तहत, केवल आवश्यक वस्तुएं ले जाने वाले या स्वच्छ ईंधन (एलएनजी/सीएनजी/बीएस-VI डीजल/इलेक्ट्रिक) से चलने वाले वाहनों को ही दिल्ली में प्रवेश की अनुमति होगी। इसके अलावा, दिल्ली के बाहर पंजीकृत गैर-जरूरी हल्के वाणिज्यिक वाहनों पर भी प्रतिबंध रहेगा, सिवाय ईवी, सीएनजी और बीएस-VI डीजल वाहनों के।
स्कूल बंद करने का दिया निर्देश
प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने 12वीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया। कोर्ट ने राज्यों को GRAP-4 के उल्लंघन की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र बनाने का भी निर्देश दिया। इसके साथ ही, सभी एनसीआर राज्यों को टीमें गठित करने और उठाए गए कदमों की विस्तृत रिपोर्ट अगली सुनवाई से पहले अदालत में पेश करने का आदेश दिया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 10वीं और 12वीं के छात्रों को अन्य कक्षाओं के विपरीत स्कूल आने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस पर अदालत ने सभी एनसीआर राज्यों से कहा कि वे इन कक्षाओं को भी बंद करने पर तत्काल निर्णय लें।
स्थिति सामान्य होने तक GRAP-4 नियम रहेंगे लागू
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि GRAP-4 के प्रावधान तब तक लागू रहेंगे, जब तक कोर्ट नए आदेश न दे, भले ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 से नीचे आ जाए। कोर्ट ने सरकारों को निर्देश दिया कि वे GRAP-3 और GRAP-4 के सभी प्रावधानों के साथ स्थिति को सामान्य करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाएं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि प्रदूषण रोकने के लिए उन्होंने अब तक क्या ठोस कदम उठाए हैं। कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण उपायों में लापरवाही को लेकर नाराजगी जाहिर की।
प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाने की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए लिया गया है। अदालत ने यह भी कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण सुनिश्चित करना सरकारों का संवैधानिक दायित्व है। अब देखना यह है कि राज्य सरकारें इन आदेशों को कितनी गंभीरता से अमल में लाती हैं और प्रदूषण के इस संकट से निपटने में कितनी सफल होती हैं।