Israel-Hamas War: 2006 में गाजा में सत्ता में आने के बाद से धीरे-धीरे अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाना शुरू किया फिर 2008 तक, हमास ने एक सैन्य संरचना विकसित कर ली थी। वहीं दूूसरी ओर इस्राइल ने भी लेबनान में जंग के बाद खुद को मजबूत किया है। इस्राइल अपने कुल बजट का 12 फीसदी रक्षा क्षेत्र पर खर्च करता है। गाजा पिछले एक साल से युद्ध का अखाड़ा बना हुआ है। इस्राइल और हमास की जंग को आज एक साल पूरे हो गए हैं।7 अक्तूबर 2023 को हमास की ओर से इजरायल पर अचानक किए गए हमले ने इस्राइल को स्तब्ध कर दिया।
इसके बाद इस्राइल ने जवाबी कार्रवाई की जिसमें हमास के मुखिया इस्माइल हानिया समेत हजारों लड़ाके ढेर हो गए। इसकी को लेकर शशि थरूर ने कहा कि यह बहुत ही चिंताजनक और गंभीर मामला है। एक साल पहले 7 अक्तूबर को जो हुआ वह बेहद दुखद था। 1200 लोग मारे गए। इनमें मुख्य रूप से निर्दोष नागरिक थे। साथ ही 200 लोगों का अपहरण करके बंधक बनाया गया। इसके बाद जो प्रतिक्रिया हुई वह कई मायनों में बेहद बुरी और बदतर थी। इस्राइल शुरू में तो आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग कर रहा था। मगर बाद में इस हद तक चला गया कि 41 हजार लोगों की जान चली गई।
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हो रहा उत्तर में लेबनान की ओर युद्ध का विस्तार
उन्होंने यह भी कहा कि हमलों के चलते गाजा की अधिकांश आबादी विस्थापित हो गई और पूरे क्षेत्र का भयानक विनाश हुआ। बड़ी संख्या में स्कूल, अस्पताल, स्वास्थ्य देखभाल केंद्र, मस्जिदें नष्ट हो गईं। अब उत्तर में लेबनान की ओर युद्ध का विस्तार हो रहा है। यहां भी बहुत सारे लोगों ने अपना जीवन खो दिया है। तबाही हुई है। वास्तव में यह दुखद संघर्ष है। मुझे लगता है कि पिछले साल आज के दिन हममें से किसी को पूरे एक साल तक युद्ध चलते रहने की उम्मीद नहीं थी। हम भी बस जल्द से जल्द युद्धविराम के आह्वान में सरकार के साथ शामिल हो सकते हैं। हमें हिंसा का सहारा लेकर अपने मतभेदों को सुलझाना बंद करना होगा, क्योंकि आंख के बदले आंख की नीति पूरी दुनिया को अंधा बना देगी। इन दिनों जो कुछ चल रहा है उससे पूरा क्षेत्र अंधा हो गया है। हमें महात्मा गांधी के सिद्धांतों को अपनाना होगा।
अजीब बात है, कि अगर आप किसी क्लब के सदस्य हैं तो……
वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव के इस्राइल में प्रवेश पर बैन लगाने पर शशि थरूर ने कहा कि अजीब बात है कि अगर आप किसी क्लब के सदस्य हैं, तो क्या आप क्लब के प्रमुख, क्लब के मुख्य कार्यकारी को वहां नहीं आने के लिए कहेंगे? यह थोड़ा अजीब रुख है। इसे मैं अतिवादी रुख कहूंगा। महासचिव किसी भी मामले में इस्राइल की यात्रा की योजना नहीं बना रहे थे। सच तो यह है कि उन्हें सभी सदस्य देशों के लिए बोलना होता है और वह सिर्फ एक के लिए नहीं बोलते हैं। जब कोई संघर्ष चल रहा हो तो उस संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करने का आह्वान करना कोई अनुचित रुख नहीं है।
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इस्लामाबाद में कदम रखने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री है…
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के एससीओ बैठक में पाकिस्तान जाने पर शशि थरूर ने कहा कि डॉ. एस जयशंकर नौ साल में इस्लामाबाद में कदम रखने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री हैं। वह एक बहुपक्षीय बैठक के लिए जा रहे हैं। अगर यह बैठक कहीं और हो रही होती तो भी वह इसमें भाग लेने के लिए जाते। मुझे नहीं लगता कि वह द्विपक्षीय चर्चा के लिए जा रहे हैं। उन्होंने हमें इस बारे में सार्वजनिक रूप से भी बताया है। इसलिए मुझे लगता है कि हमें इस बैठक को लेकर ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए। यह भारत-पाकिस्तान की बैठक नहीं है। यह कई देशों की बैठक है। मगर जब कोई भारतीय विदेश मंत्री पाकिस्तान जाता है तो पाकिस्तानी इस अवसर का उपयोग करके जो भी संकेत भेजना चाहते हैं, वह भेज सकते हैं। मगर वह उन पर निर्भर करता है।