Sultanpur: शहर से सटे लगभग 5 किलोमीटर दूर लोहरामऊ स्थित दुर्गामाता का मंदिर अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह प्राचीन मंदिर आज भी लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। मान्यता है कि यहां भक्तों पर मां भगवती की विशेष कृपा बरसती है। अमूमन शुक्रवार और सोमवार को यहां लगने वाली भक्तों की भीड़ नवरात्र में बढ़ जाती है। नवरात्र पर मेले जैसा नजारा रहता है।
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श्रद्धालुओं ने किया पूजन-अर्चना
आपको बता दे कि चैत्र नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं ने पांचवें दिन मां स्कंदमाता की लोहरामऊ मंदिर में जाकर पूजन-अर्चन किया।लखनऊ-वाराणसी राजमार्ग पर शहर से पांच किमी दूर लोहरामऊ बाजार है। बाजार से दक्षिण की तरफ करीब चार सौ मीटर दूरी पर लोहरामऊ धाम के नाम से जाना जाने वाला दुर्गा माता का प्राचीन मंदिर स्थापित है। मंदिर के निर्माण को लेकर लोग एक मत नहीं है।
1992 में नए मंदिर का जीर्णोद्धार कराया
अंग्रेजों के जमाने के 1905 का एक दस्तावेज मिलता है, जिसमें मंदिर के लिए पांच बीघा जमीन का देने का उल्लेख किया गया है। हालांकि, मौजूदा समय में मंदिर के पास उतनी भूमि नहीं है। मंदिर की स्थापना को लेकर भी स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिलते। गांव के कुछ बुजुर्ग कहते हैं कि अंग्रेजों के जमाने में भदैंया की रानी ने यहां कुंआ और मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर को समय-समय पर नए स्वरूप में परिर्वतित किया गया। 1983 में गर्भगृह में स्थित मंदिर का जीर्णोद्धार तत्कालीन पुजारी पंडित सरजू प्रसाद मिश्र ने अपने सहयोगी लालता प्रसाद तिवारी के साथ मिलकर कराया था। इसके बाद 1992 में नए मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया।
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