Haryana Elections: हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। लोकसभा चुनाव में दोनों दलों को समान रूप से 5-5 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जिसके बाद से ही दोनों पार्टियां विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे को पटखनी देने की कोशिशों में जुट गई हैं। जहां भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की कोशिश में है, वहीं कांग्रेस, गुटबाजी के बावजूद, इस बार सरकार बनाने का सपना संजो रही है।
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कांग्रेस का चौंकाने वाला फैसला
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने एक अहम फैसला लिया है, जिससे पार्टी के भीतर हलचल मच गई है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में किसी भी सांसद को टिकट नहीं दिया जाएगा। इस फैसले के बाद विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही कुमारी शैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला के सपनों पर पानी फिर गया है। ये दोनों नेता हरियाणा की राजनीति में हुड्डा विरोधी खेमा माने जाते हैं, और ऐसे में कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले को हुड्डा के लिए रास्ता साफ करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद हरियाणा में कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव के दौरान किसी भी सांसद को टिकट नहीं दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई विशेष परिस्थिति उत्पन्न होती है, तो इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से अनुमति लेनी होगी। इस बयान से स्पष्ट हो गया है कि मौजूदा विधायकों के लिए एंटी-इंकम्बेंसी की स्थिति में ही टिकट काटा जाएगा।
कुमारी शैलजा और सुरजेवाला के सपनों पर लगा ब्रेक
कांग्रेस के इस फैसले के बाद सिरसा की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा का विधानसभा चुनाव लड़ने का सपना टूट गया है। कुमारी शैलजा ने पिछले दिनों हरियाणा की सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन इस फैसले के बाद उनके विधानसभा चुनाव लड़ने के रास्ते बंद हो गए हैं। इसके अलावा, राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला भी इस ऐलान के बाद चुनाव मैदान से बाहर हो जाएंगे।
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क्या मुख्यमंत्री पद के लिए साफ हो रहा है रास्ता?
दीपक बाबरिया को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे के प्रति नरम माना जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हुड्डा, कांग्रेस के बाकी नेताओं जैसे कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला, वीरेंद्र सिंह, और कैप्टन अजय यादव के मुकाबले अधिक ताकतवर हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी हुड्डा की पसंद के आधार पर अधिकांश टिकट बांटे गए थे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस हाईकमान मुख्यमंत्री पद के लिए हुड्डा का रास्ता साफ कर रहा है?
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भाजपा का पलटवार
विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा पर भाजपा कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर रही है। भाजपा का कहना है कि अगर राहुल गांधी दलित और ओबीसी वर्ग के हितैषी हैं, तो कांग्रेस को कुमारी शैलजा को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करना चाहिए। इस पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने पूछा है कि क्या भाजपा ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया था? भूपेंद्र सिंह हुड्डा का भी कहना है कि राज्य के नए मुख्यमंत्री का चुनाव चुने गए विधायकों से मंथन के बाद किया जाएगा।
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हुड्डा की बढ़ती पकड़
हरियाणा में कांग्रेस के भीतर चल रहे इस राजनीतिक घमासान के बीच भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पकड़ मजबूत होती दिख रही है। कांग्रेस हाईकमान के फैसले से हुड्डा विरोधी खेमे के नेताओं का विधानसभा चुनाव लड़ने का सपना धूमिल हो गया है, जिससे हुड्डा के मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को और मजबूती मिल रही है। अब देखना होगा कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की यह रणनीति कितनी कारगर साबित होती है और भाजपा के साथ मुकाबले में उसे कितनी सफलता मिलती है।
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