Congress attack SEBI chief: भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा हाल ही में पेश की गई हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आरोपों के बाद अब कांग्रेस ने Securities and Exchange Board of India (SEBI) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर नए आरोप लगाए हैं। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि उन्होंने SEBI अध्यक्ष रहते हुए आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक से वेतन लिया था।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट से उठे सवाल
पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि SEBI की भूमिका शेयर बाजार की निगरानी करना है, और इस संस्था की यह जिम्मेदारी बनती है कि निवेशकों के पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। हाल ही में, हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में भी SEBI प्रमुख पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के अडानी समूह से संबंध हैं, और इसलिए SEBI ने अडानी समूह की रिपोर्ट पर उचित कार्रवाई नहीं की। रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI प्रमुख का निवेश अडानी संबंधित एंटिटीज में था, जिससे उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए हैं।
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पवन खेड़ा ने लगाए गंभीर आरोप
पवन खेड़ा के अनुसार, माधबी पुरी बुच ने SEBI की महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में कार्यरत रहते हुए ICICI बैंक से 16.80 करोड़ रुपये की नियमित आय प्राप्त की, साथ ही ICICI प्रूडेंशियल और ESOP से संबंधित भुगतान भी प्राप्त किया। यह SEBI के सेक्शन-54 का उल्लंघन माना जा रहा है, जो कि SEBI के अधिकारियों के लिए संभावित वित्तीय हितों की व्यस्तताओं को नियंत्रित करता है। साथ ही साथ कांग्रेस नेता का सवाल है कि यदि माधबी पुरी बुच SEBI में महत्वपूर्ण सदस्य होने के दौरान अन्य वित्तीय संस्थाओं से आय प्राप्त कर रही थीं, तो यह उनकी स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सावाल उठाता है। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा है कि अगर माधबी पुरी बुच में नैतिकता की थोड़ी भी समझ है, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
जयराम नरेश ने भी भाजपा सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम नरेश ने भी इस बात की आलोचना करते हुए भाजपा सरकार के उपर कटाक्ष किया और सोशल मीडिया प्लातेफ़ोर्म एक्स के माध्यम से सीधे तौर पर सवाल पूछा कि, “क्या प्रधानमंत्री को पता था कि SEBI चेयरपर्सन लाभ के पद पर थीं”। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि वह सेबी में अपने कार्यकाल के दौरान आईसीआईसीआई से भी वेतन प्राप्त कर रही थी।
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माधबी पुरी बुच ने पहले भी दिया था स्पष्टीकरण
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में उठाए गए आरोपों के जवाब में, माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा किए गए निवेश 2015 का है, जब वे दोनों सिंगापुर में निजी नागरिक थे और SEBI में शामिल होने से लगभग दो साल पहले का था। बयान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उनका निवेश किसी भी अडानी समूह की कंपनी के बांड, इक्विटी या डेरिवेटिव में नहीं था। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि यह निवेश उनके पुराने दोस्त और चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर अनिल आहूजा के परामर्श पर किया गया था।
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हिंडनबर्ग रिपोर्ट का प्रभाव
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके परिणामस्वरूप अडानी समूह के शेयरों में 83 प्रतिशत की गिरावट आई थी और समूह का मार्केट कैप 80 बिलियन डॉलर से अधिक घट गया था। इस रिपोर्ट के बाद SEBI ने अडानी समूह पर जांच की, लेकिन समूह को आरोपमुक्त पाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पूरी तरह सही मानने से इंकार किया था।
कांग्रेस ने की आलोचना
कांग्रेस ने माधबी पुरी बुच पर लगाए गए नए आरोपों को लेकर सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की है। उनका कहना है कि इन आरोपों की गहराई से जांच होनी चाहिए और यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। इस विवाद ने SEBI और अडानी समूह के मुद्दों को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है, और इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का अंत कैसे होता है और सरकार इस मामले में किस प्रकार की कार्रवाई करती है। SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ उठाए गए आरोपों और उनकी प्रतिक्रिया से यह मामला और भी जटिल हो गया है। राजनीतिक और आर्थिक हलकों में इस मुद्दे पर निरंतर नजर रखी जा रही है।