गोरखपुर संवाददाता: धनेश कुमार
Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति का पर्व देश भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरक्ष पीठाधीश्वर के रूप में सोमवार सुबह खिचड़ी चढ़ाकर मकर संक्रांति की शुरुआत की। खिचड़ी चढ़ाने के बाद सीएम योगी ने मंदिर का भ्रमण भी किया। साथ ही गोरक्ष पीठाधीश्वर ने लोगों को मकर संक्रांति पर्व की शुभकामनाएं भी दी।
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खिचड़ी मेला का शुभारंभ किया
सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में गोरक्षपीठाधीश्वर ने मकर संक्रांति पर परंपरागत पूजा की। इसके बाद गोरक्षपीठ और नेपाल नरेश की ओर से भेजी गई खिचड़ी चढ़ाई गई। परंपरानुसार नेपाल राज परिवार से गोरखनाथ मंदिर में हर साल चढ़ाने के लिए खिचड़ी आती है। फिर आम श्रद्धालुओं के खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ। इसी के साथ सवा महीना तक चलने वाले गोरखनाथ मंदिर के खिचड़ी मेला का शुभारंभ किया गया।
सीएम योगी बोले- यह पर्व सूर्य की उपासना का पर्व है
सीएम योगी ने कहा- यह पर्व सूर्य की उपासना का पर्व है। इस जगत में जहां भी जीव-सृष्टि है, जगतपिता सूर्य के कारण ही है। उन्होंने कहा कि गोरखनाथ मंदिर में रात से ही लाखों श्रद्धालु पहुंचे हैं। जबकि, प्रयागराज, काशी, गढ़ मुक्तेश्वर सहित सभी जिलों में लोग नदी घाटों पर स्नान ध्यान कर भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। सभी स्थानों पर सुरक्षा और सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पूजा-अर्चना करने और पर्व को मनाने में किसी श्रद्धालु को कोई तकलीफ न हो, इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है।
गोरखनाथ मंदिर में गूंज रहे ढोल-नगाड़े
सोमवार सुबह से ही पूरा मंदिर परिसर ढोल, नगाड़ों से गूंजने लगे श्रद्धालु गुरु गोरखनाथ के जयकारे लगा रहे हैं। गोरक्ष पीठाधीश्वर के रूप में योगी ने अनुष्ठान और पूजा-पाठ सुबह 4 बजे तक किया। इसके बाद देश के कई क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं ने खिचड़ी चढ़ाया। इनमें सबसे अधिक संख्या नेपाल से आने वाले श्रद्धालुओं की है। इस दौरान क्या महिलाएं क्या पुरुष और क्या बच्चे, सभी गुरु गोरखनाथ की दर्शन के लिए मंदिर में उमड़ पड़े। श्रद्धालुओं ने अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हुए अपने आराध्य गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाई।
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सुबह 4 बजे श्रद्धालुओं के लिए खुला मंदिर
सुबह 4 बजे मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। कपाट खुलते ही गुरु गोरक्षनाथ और हर-महादेव के जयघोष के साथ श्रद्धालुओं का हुजूम मंदिर परिसर में उमड़ पड़ा। ठंड और कोहरे के बावजूद श्रद्धालुओं के गोरखनाथ मंदिर पहुंचने का सिलसिला जारी है।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मन्दिर के स्वयंसेवक और पुलिस-प्रशासन के लोग जगह-जगह पर तैनात हैं। उधर, रविवार की रात से ही खिचड़ी मेले की छटा देखने लायक है। मेला परिसर देखकर श्रद्धालुओं के उत्साह का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। झूले लगातार चल रहे हैं और स्टालों पर भीड़ उमड़ पड़ी है।
ATS कमांडो संभाल रहे मंदिर की सुरक्षा
खिचड़ी मेले के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए एक्शन प्लान तैयार कर लिया गया है। पुलिस और PAC के साथ ही ATS कमांडो गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में लगाए गए हैं। मंदिर परिसर को 4 सुपर जोन, 10 जोन और 25 सेक्टर में बांटकर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है। मेले के दौरान मंदिर के अंदर व बाहर 3115 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
इसके अलावा PAC और ATS कमांडो ने मंदिर को अभेद्य किला बनाया है। मंदिर परिसर में एक अस्थायी थाना और 7 पुलिस चौकियां बनाई गई हैं। पार्किंग के लिए 10 स्थान निर्धारित किए गए हैं। अस्थाई थाना और 7 चौकियां स्थापित कर प्रभारी की नियुक्ति भी कर दी गई है।
कल के बाद शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य
वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, इस दिन पौष शुक्ल पंचमी है। शतभिषा नक्षत्र और चंद्रमा की स्थिति कुंभ राशि पर है। इसी दिन सूर्य धनु राशि का परित्याग कर सुबह 9 बजकर 13 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन अमृत नामक औदायिक योग बन रहा है। अमृत योग में मकर संक्रांति होने से इस दिन किया गया दान, स्नान और समस्त धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत पुण्य फलदायक रहेगा। इस दिन से ऋतु परिवर्तन भी होगा है। हेमंत ऋतु की समाप्ति और शिशिर ऋतु का आगमन होगा। खरमास समाप्त हो जाएगा और मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
त्रेता युग से चढ़ाई जा रही गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी
गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुग से मानी जाती है। मान्यता है कि आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार में पहुंचे। मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया। कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं। उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए।
भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और यहीं धूनी रमाकर साधनालीन हो गए। उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे। इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई। तब से गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम अब तक जारी है। कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार मे बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है।
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