Kanwar Yatra 2024: कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) के रास्ते पर आने वाली दुकानों के बाहर दुकान मालिक को अपना नाम लगाना अनिवार्य होगा इसका आदेश मुजफ्फरनगर पुलिस (Muzaffarnagar Police) ने जारी किया था इसके बाद सहारनपुर मंडल के डीआईजी ने आदेश जारी कर दिया था.फिर क्या था शामली,मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में सभी दुकानदारों ने दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगा दिया.
हालांकि इस पर जब विवाद बढ़ गया तो मुजफ्फरनगर पुलिस ने अपना आदेश वापिस ले लिया लेकिन अब सीएम योगी ने ये आदेश जारी कर दिया है। कांवड़ यात्रा के दौरान नेम प्लेट लगाने के फैसले को लेकर जहां योगी सरकार अपने सहयोगियों और विपक्षी दलों के निशाने पर है वहीं उसे एक मुस्लिम संगठन का साथ मिला है।
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“मुसलमानों के बीच झगड़ा भड़काने की साजिश”
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने सरकार के फैसले को उचित बताते हुए कहा, “कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे स्थित ढाबों पर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए एक एडवाइजरी जारी की गई है।जो लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं, वे गलत हैं। यह एक धार्मिक यात्रा है, इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
हिंदुओं और मुसलमानों के बीच झड़प को रोकने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है।समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के बयान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने इसे राजनीतिक रंग दे दिया है।हिंदुओं और मुसलमानों के बीच झगड़ा भड़काने की साजिश रची जा रही है।”
अखिलेश यादव ने क्या कहा था?
सपा प्रमुख अखिलेश ने कहा था कि कोर्ट को ऐसे मामलों का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और जांच करवाकर दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा को लेकर जारी किए गए फरमान में कहा है कि सभी दुकानदार दुकान के बाहर अपना नाम जरूर लिखें। अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसे आदेश सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।
उन्होंने सोशल साइट एक्स पर कहा कि … और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।
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अमन-औ-चैन पसंद करनेवाली जनता माननेवाली नहीं – कन्नौज सांसद
वहीं इसके बाद कन्नौज सांसद ने कहा था कि मुज़फ़्फ़रनगर पुलिस ने जनता के भाईचारे और विपक्ष के दबाव में आकर आख़िरकार होटल, फल, ठेलोंवालों को अपना नाम लिखकर प्रदर्शित करने के प्रशासनिक आदेश को स्वैच्छिक बनाकर जो अपनी पीठ थपथपायी है, उतने से ही अमन-औ-चैन पसंद करनेवाली जनता माननेवाली नहीं है. ऐसे आदेश पूरी तरह से ख़ारिज होने चाहिए। न्यायालय सकारात्मक हस्तक्षेप करते हुए शासन के माध्यम से ये सुनिश्चित करवाए कि भविष्य में ऐसा कोई भी विभाजनकारी काम शासन-प्रशासन नहीं करेगा। ये प्रेम और सौहार्द से उपजी एकता की जीत है।