Sharda Sinha News: पद्मभूषण से सम्मानित और छठ महापर्व के गीतों को अमर बनाने वाली प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) के निधन से संगीत जगत और उनके प्रशंसकों में गहरा शोक है। उनके पार्थिव शरीर को बुधवार को इंडिगो विमान से पटना लाया गया, जहां एयरपोर्ट पर तिरंगे में लिपटे उनके पार्थिव देह का राजकीय सम्मान के साथ स्वागत किया गया। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को ‘मुक्ति रथ’ के माध्यम से पटना के पाटलिपुत्र आवास ले जाया गया, जहां उनके चाहने वालों और समर्थकों ने अंतिम दर्शन किए।
मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
शारदा सिन्हा के निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हुए पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उनके साथ जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा और भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। पटना के जिलाधिकारी ने बताया कि परिवार की इच्छा के अनुसार, शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर गुरुवार को राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। यह वही स्थान है, जहां उनके दिवंगत पति का भी अंतिम संस्कार किया गया था।
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छठ के अवसर पर हुआ निधन
शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने इस दुखद घड़ी पर अपनी मां के योगदान को याद करते हुए कहा कि यह संयोग ही है कि छठ महापर्व के अवसर पर उनकी मां ने अंतिम सांस ली। उन्होंने कहा, “मेरी मां ने छठ के गीतों के माध्यम से बिहार के इस आस्था के पर्व को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके जाने से छठ पर्व की आस्था में कमी महसूस की जाएगी।” उन्होंने कहा कि उनकी मां का मातृत्व और सरलता उनके गीतों के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व में भी झलकती थी। शारदा सिन्हा के गीत हमेशा लोगों के दिलों में गूंजते रहेंगे।
लोकधुनों की रानी के लिए उमड़ा जनसैलाब
पटना में पाटलिपुत्र आवास पर लोकधुनों की रानी को अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। शारदा सिन्हा के प्रति लोगों के मन में विशेष सम्मान और श्रद्धा दिखी। उनके चाहने वालों के लिए यह एक भावुक और सदमे से भरी घड़ी है, क्योंकि उन्होंने लोकगीतों को न सिर्फ गाया, बल्कि छठ के महापर्व को अपने गीतों से सजाया। शारदा सिन्हा के गानों ने छठ के इस पावन पर्व को नई पहचान दी और आज उनके इस दुनिया से जाने पर हर व्यक्ति की आंखें नम हैं।
अंशुमान ने कही दिल छू लेने वाली बातें
शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “हमने तय किया है कि मां का अंतिम संस्कार उसी जगह होगा, जहां मेरे पिता का हुआ था। उनका पार्थिव शरीर पटना ले जाया गया है, ताकि वहां उनके चाहने वाले उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।” उन्होंने आगे कहा कि उनकी मां छठ महापर्व के पहले ही दिन इस दुनिया को छोड़कर चली गईं, और यह पूरे परिवार के लिए बेहद दुखद घड़ी है। “वह हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी और उनके गीत हर त्योहार पर हमें उनकी याद दिलाएंगे।”
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संगीत की दुनिया में एक युग का अंत
शारदा सिन्हा का जाना संगीत जगत के लिए एक युग का अंत माना जा रहा है। छठ महापर्व पर उनके गाए गीत जैसे ‘केलवा के पात पर’ और ‘प्यरवा से सज के’ घर-घर में बजते हैं। उनका संगीत न केवल बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में, बल्कि देश और दुनिया में मशहूर हुआ। उनकी आवाज ने छठ पर्व को हर दिल में बसा दिया। आज उनके जाने से यह पर्व और भी भावुक हो गया है, क्योंकि इस बार छठ की गूंज में उनकी अनुपस्थिति गहरे खालीपन का एहसास कराती है।
शारदा सिन्हा का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा
शारदा सिन्हा के निधन के बाद, उनके घर के बाहर प्रशंसकों और समर्थकों का तांता लग गया। हर किसी ने इस महान गायिका को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके निधन पर बिहार के राजनीतिक और सांस्कृतिक जगत में गहरा शोक व्यक्त किया गया। सोशल मीडिया पर भी शारदा सिन्हा को देशभर से श्रद्धांजलि दी जा रही है। संगीत प्रेमियों ने कहा कि शारदा सिन्हा का जाना संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन से संगीत प्रेमियों के दिलों में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्होंने छठ पर्व और अन्य लोक पर्वों को अपने संगीत से अमर कर दिया। उनका योगदान और उनकी मधुर आवाज हमेशा उनके चाहने वालों के दिलों में बसी रहेगी।
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