Chirag Paswan News: लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने जाति जनगणना की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि समुदाय-आधारित विकास योजनाओं के लिए सटीक डेटा होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना को अगली जनगणना का हिस्सा बनाया जाना चाहिए, ताकि विभिन्न जातियों की जनसंख्या का सही-सही आंकड़ा मिल सके। पासवान ने यह भी बताया कि अदालतें भी कई बार विभिन्न जातियों की जनसंख्या का डेटा मांगती हैं।
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डेटा सार्वजनिक करने पर चिंता
हालांकि, चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने जाति जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक करने पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि डेटा को सरकार के पास ही रखना चाहिए और इसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे समाज में विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने कहा, “मैं इस डेटा को सार्वजनिक करने के बिल्कुल भी समर्थन में नहीं हूं। इससे केवल समाज में विभाजन होता है।”
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एनडीए के भीतर चर्चा का अभाव
चिराग पासवान ने खुलासा किया कि एनडीए (NDA) के भीतर अब तक जाति जनगणना को लेकर कोई विशेष चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि एक देश, एक चुनाव और समान नागरिक संहिता (UCC) भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा हैं, लेकिन इस पर भी कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया गया है।
समान नागरिक संहिता पर व्यक्त की चिंता
यूसीसी (UCC) के बारे में पूछे जाने पर, पासवान ने कहा कि जब तक इस पर एक मसौदा उनके सामने नहीं रखा जाता, तब तक वह कोई स्पष्ट राय नहीं बना सकते। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत विविधताओं का देश है और यूसीसी को लागू करना एक बड़ी चुनौती होगी। उन्होंने कहा, “हमारे पास अभी तक इसके लिए कोई मसौदा नहीं है। जब तक हम उस मसौदे पर गौर नहीं करते, क्योंकि इसे लेकर बहुत सारी चिंताएं हैं।”
आदिवासियों और विविधता का सवाल
चिराग पासवान ने कहा कि यूसीसी पर बहस में अक्सर हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर फोकस होता है, लेकिन यह हिंदुओं के बारे में भी है, क्योंकि उनकी प्रथाएं और परंपराएं अलग-अलग हैं। उन्होंने विशेष रूप से छत्तीसगढ़ में आदिवासियों का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें इस छतरी के नीचे कैसे लाया जा सकता है।
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‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का समर्थन
एक देश, एक चुनाव के मुद्दे पर, चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने कहा कि उनकी पार्टी इस अवधारणा का पुरजोर समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति को अपने सुझाव दिए थे और वे अंतिम मसौदे के आने का इंतजार कर रहे हैं। चिराग पासवान के बयान से स्पष्ट है कि वह जाति जनगणना की आवश्यकता को समझते हैं, लेकिन इसके आंकड़ों को सार्वजनिक करने के संभावित खतरों से भी अवगत हैं। समान नागरिक संहिता और एक देश, एक चुनाव जैसे मुद्दों पर भी उन्होंने अपनी पार्टी की स्थिति स्पष्ट की है। एनडीए सरकार के लिए ये मुद्दे महत्वपूर्ण हैं और इन पर आगे की चर्चा और निर्णय लेना जरूरी है।
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एनडीए सरकार की चुनौती
यह पूछे जाने पर कि क्या कम बहुमत के साथ सत्ता बरकरार रखने वाली एनडीए सरकार के लिए देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रावधान लाना संभव होगा, चिराग पासवान ने कहा, “हां, बिल्कुल। क्यों नहीं?” उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ ऐसी चीज है जिसका उन्होंने और उनकी पार्टी ने पुरजोर समर्थन किया है। चिराग पासवान की इस बयानबाजी से यह भी साफ होता है कि एनडीए (NDA) के भीतर कई मुद्दों पर अभी भी चर्चा और सहमति की आवश्यकता है, ताकि देश के विकास और एकता को सुनिश्चित किया जा सके।
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