Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह भघेल ने आज राजधानी रायपुर शहर को 132 करोड़ 42 लाख रुपए के विकास कार्यों का शिलान्यास किया। सीएम भूपेश बघेल ने राजधानी के बीच ऐतिहासिक जय स्तंभ चौक पर शहीद वीर नारायण सिंह की भव्य प्रतिमा का अनावरण भी किया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर शहर वासियों को 132 करोड़ 42 लाख रुपए के कई विकास कार्यों की सौगात दी है। बघेल ने राजधानी के बीच ऐतिहासिक जय स्तंभ चौक पर शहीद वीर नारायण सिंह की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। शहीद वीरनारायण सिंह की प्रतिमा जयस्तंभ चौक में स्थापित की गई है। यह कांस्य प्रतिमा 15 फीट ऊंची और 2 टन वजन की है। प्रतिमा निर्माण और सौंदर्यीकरण का काम कुल लागत 51 लाख रुपए है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने छतीसगढ़ विद्युत वितरण कंपनी के अंडरग्राउंड केबलिंग व विद्युतीकरण कार्य का शिलान्यास किया।
अंडरग्राउंड केबलिंग और विद्युतीकरण कार्य का शिलान्यास
सीएम भूपेश बघेल ने विद्युत वितरण कंपनी के अंडरग्राउंड केबलिंग और विद्युतीकरण कार्य का शिलान्यास किया। यह काम 102 करोड़ रुपये की लागत से कराया जाएगा। राजधानी रायपुर में अधिकांश जगह बिजली के तारों का जाल बिछा है। और इस वजह से आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार ने यहां तारों को अंडरग्राउंड करने का फैसला कर लिया है। सीएम भूपेश बघेल ने रायपुर में हुए एक आयोजन में राजधानी के विकास कार्यों के लिए 132 करोड़ रुपए से ज्यादा पैसे जारी करने की घोषणा की। इसमें से 109 करोड़ रुपए बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करने के प्रोजेक्ट में खर्च होंगे।
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CSPDCL की 112 करोड़ की कार्य योजनाओं का शुभारंभ
सीएसपीडीसीएल की ओर से 109 करोड़ रूपए की लागत से प्रस्तावित अंडरग्राउंड केबलिंग और विद्युतीकरण कार्य का शिलान्यास आज किया गया है। इस कार्य के पूरा हो जाने से सड़कों पर फैले तार अंडरग्राउंड होंगे, जिससे शहरों को सुव्यवस्थित व सुंदर स्वरूप में विकसित करने में सहायता मिलेगी। इसके अलावा मठपुरैना व आईएसबीटी में 3 करोड़ रुपये की लागत से अतिरिक्त सब-स्टेशन व ट्रांसफार्मर स्थापना का कार्य का लोकार्पण हुआ है। अब इस क्षेत्र के निवासियों को निर्बाध बिजली आपूर्ति उपलब्ध होगी।
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सीएम भूपेश बघेल ने 1857 की क्रांति का किया उल्लेख
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर कहा कि सन् 1857 के गदर के समय दिल्ली, झांसी, अवध आदि विद्रोह के केंद्र थे। छत्तीसगढ़ भी लड़ाई में पीछे नहीं था। वीरनारायण सिंह के पास जमींदारी भी थी इसके बावजूद अंग्रेजों के हुक्म को मानने से इंकार कर दिया। अंग्रेजो से लड़ाई हुई और मुखबिर की सूचना के आधार पर उन्हें पकड़ा गया। 10 दिसंबर 1857 को जयस्तंभ चौक में उन्हें फांसी दी गई।
बता दें कि अंग्रेजों ने कई दिनों तक उनके शव को फांसी पर ही लटका रखा था। उनके शव को उतारा नहीं गया ताकि लोगों में खौफ आ जाए। अंग्रेजो का मकसद था कि उनके वंशज गांव छोड़कर भाग जाए, उनसे छूपकर रहे। उनके परिवार को बड़ी तकलीफ हुई। बाद में उनकी वंशावली बनाई गई और शासन से उनके वास्तविक वंशजों को मान्यता मिली। ऐसे शहीदों के बलिदान से हमारा देश आजाद हुआ।
इस दौरान उन्होंने कहा कि आज मुझे इस बात की खुशी है कि जिस जगह पर उन्होंने बलिदान दिया, वहीं पर उनकी 15 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई। मुझे इस बात की खुशी है कि जिला प्रशासन ने यह अच्छा कार्य किया है। आज रजक गुड़ी का लोकार्पण भी मैंने किया है। बहुत से सरोवरों-उद्यानों के जीर्णोद्धार का आज लोकार्पण हुआ है। बहुत से समाज के लोग जुटे हैं। आज 36 सामुदायिक भवनों का शिलान्यास किया गया है जिनकी घोषणा भेंट मुलाकात के दौरान मैंने की थी।