Ladakh News: पिछले कई महीनों से लद्दाख के लोग अपनी संस्कृति और अपने पर्यावरण को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। जिसे लेकर काफी प्रदर्शन भी हुआ है। लद्दाख (Ladakh) को छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर केंद्र सरकार की गंभीरता की खबर सामने आई है। गृह मंत्रालय जल्द ही लद्दाख के विकास और सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय ले सकता है। इस आश्वासन के बाद लद्दाख भाजपा के नेताओं में उत्साह है।
लद्दाख में भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, विशेषकर कांग्रेस और कारगिल के संगठनों की एकजुटता के बाद। हालाँकि, केंद्र सरकार ने लद्दाख में दो नए जिलों की स्थापना, क्षेत्रीय युवाओं के लिए एक नई लद्दाख स्काउट्स बटालियन, और बोटी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की योजनाएं बनाई हैं।
गृहमंत्री से बैठक के बाद उम्मीदें
लद्दाख भाजपा अध्यक्ष फुंचुक स्टेंजिन ने दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, और राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग से मुलाकात की। इन बैठकों में कारगिल हवाई अड्डे के निर्माण में तेजी लाने, नुबरा हवाई अड्डे पर नागरिक विमानों की अनुमति, और लेह और कारगिल की स्वायत्त पर्वतीय परिषदों को अधिक शक्तिशाली बनाने पर चर्चा की गई। इस मौके पर ताशी ग्यालसन, जो लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार भी रहे, भी मौजूद थे।
Read more: सदन में गरजे CM योगी; विपक्ष को दिया करारा जवाब, अयोध्या रेप कांड को लेकर अपनाया कड़ा रुख
लद्दाख की मांगें
लद्दाख की प्रमुख मांगें हैं:
- छठी अनुसूची में शामिल करना: लद्दाख को पूर्वोत्तर राज्यों की तरह संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, जिससे क्षेत्रीय संस्कृति और अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
- पूर्ण राज्य का दर्जा: लद्दाख को पूर्ण राज्य और आदिवासी दर्जा मिलना चाहिए।
- अलग संसदीय सीट: लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग संसदीय सीटों की मांग।
- पब्लिक सर्विस कमीशन: लद्दाख में पब्लिक सर्विस कमीशन कायम रहे।
- स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण: स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था हो।
Read more: Hind Medical College: रैगिंग से तंग आकर छात्रा ने की आत्महत्या, सीनियर के खिलाफ केस दर्ज
2019 का पुनर्गठन और मौजूदा स्थिति
साल 2019 में जम्मू और कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था, जिससे स्थानीय लोगों को मिलने वाले विशेष अधिकार भी समाप्त हो गए थे। अब चार साल बाद लद्दाख के लोग अपनी पुरानी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। केंद्र सरकार की हालिया घोषणाएं और बैठकें लद्दाख के लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण साबित हो सकती हैं।