National Coloring Book Day: जो लोग यह नहीं जानते कि 2 अगस्त का विशेष दिन क्या है, तो हम उन्हें बता दे की आज का दिन भारत के खास दिन मे से एक दिन माना गया है। आपको याद होगा की जब हम बचपन में स्कूल जाते थे, तो सबसे ज्यादा मजा खेलने और कलर करने में आता था। किताब को रंगना कितना मजेदार होता है न, किताबों को रंगने का जो मजा होता है वो आप कहीं भी पा सकते हैं।
यह दिन ऐसा है कि आज पुस्तकों को विशेष रूप से रंगा जाता है, इस दिन बच्चे अपनी बुक्स और कॉपी को जी भर कर रंगते है, रंगों को महसूस करके बच्चे बहुत खुश होते हैं, और उन कलाकृतियों को किताबों, पन्नों पर उकेरते हैं। आपको बता दे की रंगों को देख कर हमे सब रंगीन नजर आता है। साथ ही इस दिन आप अपने बच्चों का एक ड्राइंग कंपटीशन रख सकते हैं , जहां आप किताबों में अलग-अलग रंगों को लेकर चित्र बना सकते हैं। इसके अलावा दोस्तों के साथ मिलकर रंगों की दुनिया में कुछ वक्त के लिए डूब सकते हैं। रंग जिंदगी को और भी खुशनुमा बना देते हैं, ऐसे में आप अपने भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच कुछ वक्त अपने किताबों और रंगों के लिए जरूर निकात सकते है।
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रंगो की पुस्तक की शुरुआत-
रंगो की पुस्तक की शुरुआत सन् 1800 के उत्तरार्ध में मैकलॉघलिन ब्रदर्स द्वारा की गई थी, जब उन्होंने पहली बार ‘द लिटिल फोल्क्स पेंटिंग बुक’ जारी की थी। वे दोनों 1920 के दशक तक पुस्तकों का निर्माण करते रहें, नेशनल कलरिंग बुक डे बच्चें और बूढ़ो के बीच के अंतर को खत्म करता है। इस दिन का मजा तो युवा भी ले सकते हैं और अपने जीवन के एक दिन को बिना टेंशन के इंजाय कर सकते है। पुस्तकें दिव्यांग बच्चो के लिए तो बहुत हितकारी साबित होती है, वे रंगो की भाषा को बहुत अच्छे से समझते है।
रंगों की पुस्तक दिवस का महत्व
हमें अपने बचपन की खेल-कूद की यादों को ताजा करने और नए स्वास्थ्य और कल्याण लाभों की खोज करने में मदद करता है, क्योंकि कलरिंग अब केवल बच्चों के लिए नहीं है। वास्तव में, वयस्क रंग भरने वाली किताबें नवीनतम कल्याण और विश्राम प्रवृत्ति प्रतीत होती हैं जो लोगों को लाइनों के बीच खुशी खोजने में मदद करती हैं।