Ragging in Lucknow University: जानकीपुरम स्थित लॉ हॉस्टल में नव प्रवेशियों (New Entrants) के साथ हो रही रैगिंग की घटनाओं ने विश्वविद्यालय की अनुशासन व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। छात्र हद से ज्यादा परेशान होकर हॉस्टल छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के नवीन परिसर के लॉ हॉस्टल में एक नव प्रवेशी छात्र ने रैगिंग की घटनाओं का आरोप लगाते हुए हॉस्टल छोड़ दिया है। इस घटना ने विश्वविद्यालय में अनुशासन की स्थिति को गंभीरता से चुनौती दी है। छात्र का आरोप है कि सीनियर्स उन्हें रात में छत पर बुलाकर डांस करने के लिए मजबूर करते हैं। इनकार करने पर वे अभद्रता और पिटाई का शिकार बनते हैं। छात्र ने बताया कि उन्हें पूरी रात आधे कपड़ों में खड़ा रखा जाता है और दिन में सिर झुकाकर चलने के लिए कहा जाता है।
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छात्रों की पढ़ाई पर पड़ा रहा असर
छात्रों का कहना है कि रातभर जागने के कारण वे सुबह की कक्षाओं में उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कई छात्र इस माहौल से परेशान होकर परिसर के बाहर कमरा खोज रहे हैं। एक अभिभावक ने चिंता जताई कि यदि माहौल नहीं सुधरा, तो वे अपने बच्चे को लविवि से निकालकर निजी कॉलेज में दाखिला दिलाने पर विचार करेंगे।
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रैगिंग के खिलाफ है कानून
भारत में रैगिंग एक गंभीर अपराध है। इसे रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने एंटी-रैगिंग कानून बनाया है, जिसमें निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
- रैगिंग की परिभाषा: रैगिंग में किसी भी प्रकार का शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक शोषण शामिल होता है।
- दंड: रैगिंग करने वालों को एक वर्ष की जेल या जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है। गंभीर मामलों में दंड बढ़ाया जा सकता है।
- शिकायत की प्रक्रिया: विश्वविद्यालयों को रैगिंग की घटनाओं की जांच के लिए विशेष कमेटी गठित करनी होती है। छात्रों की पहचान गोपनीय रखी जाती है।
- निष्कासन: रैगिंग के आरोप सिद्ध होने पर छात्रों को विश्वविद्यालय से निष्कासित किया जा सकता है।
विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया
लखनऊ विश्वविद्यालय के मुख्य कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी ने कहा कि रैगिंग के चलते यदि कोई छात्र हॉस्टल छोड़ने के लिए मजबूर है, तो यह एक गंभीर मामला है। उन्होंने स्पष्ट किया कि रैगिंग अपराध है और प्रॉक्टोरियल बोर्ड इस पर सख्त कार्रवाई करेगा। प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने हाल ही में हॉस्टल में जाकर छात्रों के सामान की जांच की और कुछ छात्रों पर जुर्माना लगाया। हालांकि, एक अभिभावक ने डॉ. अनुपमा सिंह की असंवेदनशीलता की ओर इशारा किया, जो कि ब्वायज हॉस्टल की पहली महिला प्रोवोस्ट हैं।
विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा पर उठता सवाल
लखनऊ विश्वविद्यालय में अनुशासन की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। कुछ समय पहले सीनियर और जूनियर छात्रों के बीच झगड़े की घटना ने भी विश्वविद्यालय की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे। पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई गई थी। इस प्रकार, रैगिंग की घटनाएं न केवल छात्रों की पढ़ाई को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि उनकी मानसिक स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल रही हैं। विश्वविद्यालय प्रबंधन को चाहिए कि वे इस गंभीर मुद्दे पर शीघ्र कार्रवाई करें और छात्रों के लिए एक सुरक्षित और अनुशासित वातावरण सुनिश्चित करें।