Ratan Tata passes away: बुधवार को देश के प्रमुख उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। रतन टाटा ने भारतीय उद्योग जगत में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई थी और टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। उनका निधन भारतीय उद्योग जगत के लिए एक बड़ी क्षति मानी जा रही है।वहीं भारत के जाने-माने उद्योगपति और समाजसेवी थे। उनकी सफलता की कहानी ने भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत प्रभावित किया है। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल से उनके निधन की खबर आते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
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ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे
रतन टाटा को उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के चलते मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट के चलते उन्हें आईसीयू में रखा गया था। दो दिन पहले उनके स्वास्थ्य में गिरावट की खबरें भी मीडिया में आई थीं। हालांकि, डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उनका निधन हो गया।
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उद्योग जगत में शोक की लहर
रतन टाटा के निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। उद्योग जगत के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों के लोग भी उनकी महानता और योगदान को याद कर रहे हैं। टाटा समूह के साथ उनके जुड़ाव और नेतृत्व के तहत कंपनी ने वैश्विक स्तर पर बड़ी सफलताएं हासिल की थीं। उनके निधन से एक युग का अंत हो गया है, जिसे भारतीय उद्योग जगत हमेशा याद करेगा।
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रतन टाटा की विरासत
रतन टाटा को उनके सादगीपूर्ण जीवन और व्यवसायिक दृष्टिकोण के लिए जाना जाता था। उन्होंने टाटा समूह के नेतृत्व में न केवल कंपनी को नई बुलंदियों तक पहुंचाया, बल्कि समाज के प्रति भी गहरी जिम्मेदारी का निर्वहन किया। उनके नेतृत्व में टाटा ने कई बड़े अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण किए, जिनमें टेटली, जगुआर, लैंड रोवर जैसे ब्रांड शामिल हैं।
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स्वभाव के धनी थे रतन टाटा
रतन टाटा अपने सौम्य स्वभाव और उदार हृदय के लिए जाने जाते थे। जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही थी, तब भारत भी स्वास्थ्य संकटों से जूझ रहा था। संकट की इस घड़ी में रतन टाटा आगे आए और देश को 500 करोड़ रुपये की सहायता दी। रतन टाटा को कुत्तों से बहुत प्यार था। कुछ दिन पहले ही उन्होंने कुत्तों के लिए एक अस्पताल खोला था। अस्पताल खोलते हुए उन्होंने कहा था कि मैं कुत्तों को अपने परिवार का हिस्सा मानता हूं।