Bulldozer Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में विभिन्न राज्यों द्वारा आरोपियों के घरों पर चलाए जा रहे बुलडोजर एक्शन की कड़ी आलोचना की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई व्यक्ति अपराध में दोषी भी पाया जाता है, तो उसके घर पर बुलडोजर चलाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है। कोर्ट का कहना है कि विध्वंस केवल तब ही किया जा सकता है जब संपत्ति को कानूनी तौर पर अवैध घोषित किया गया हो।
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योगी सरकार की हुई तारीफ
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मुद्दे पर जवाब दाखिल किया। योगी सरकार द्वारा प्रस्तुत हलफनामे को देखकर कोर्ट ने उसकी सराहना की है। हलफनामे में स्पष्ट किया गया है कि विध्वंस केवल तब किया जाएगा जब संरचना कानूनी रूप से अवैध हो। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के रुख को स्वीकार किया और इसे अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में पेश करने की बात की है।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के हलफनामे की सराहना करते हुए कहा कि इसमें बताया गया है कि विध्वंस केवल कानून के अनुसार किया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस पर अपनी बात रखते हुए कहा कि किसी भी संपत्ति को केवल अपराध के आरोप के आधार पर ध्वस्त नहीं किया जा सकता।
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याचिकाओं पर सुनवाई जारी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि पूरे भारत के लिए इस मुद्दे पर दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों के वकील सुझाव दे सकते हैं ताकि एक ऐसा नियम बन सके जो पूरे देश में लागू हो सके। अदालत ने कहा कि “बुलडोजर न्याय” की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में कथित तौर पर बिना नोटिस के किए गए विध्वंस के मामले पर भी सुनवाई की है। राजस्थान के उदयपुर के राशिद खान ने आरोप लगाया है कि 17 अगस्त, 2024 को उनके घर को ध्वस्त कर दिया गया। इसी तरह, मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन ने भी आरोप लगाया है कि उनकी संपत्ति को गैरकानूनी तरीके से नष्ट कर दिया गया।
इन घटनाओं ने राजनीतिक और कानूनी विवाद को जन्म दिया है, जिससे पूरे देश में बुलडोजर एक्शन के कानूनी और नैतिक पहलुओं पर बहस छिड़ गई है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है और यह निर्धारित कर सकता है कि भविष्य में इस तरह की कार्रवाइयों को किस प्रकार नियंत्रित किया जाएगा।
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