Delhi Excise Policy Case: बीआरएस नेता के. कविता की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में जेल में बंद कविता को सोमवार यानी की आज 8 अप्रैल को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. तिहाड़ जेल में बंद कविता की अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. दरअसल, दिल्ली शराब नीति घोटाला में बीआरएस नेता को 2 अप्रैल को अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा है. वह 15 अप्रैल तक जेल में ही बंद रहेगा.
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अंतरिम जमानत देने का यह सही समय नहीं- कोर्ट

आपको बता दें कि बीआरएस नेता कविता ने अपने नाबालिग बेटे की स्कूल परीक्षाओं के आधार पर अंतरिम जमानत की मांग की थी। उत्पाद नीति मामले में ईडी की रिमांड के बाद से वह न्यायिक हिरासत में हैं। जिस पर विशेष न्यायाधीश ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि-” उन्हें अंतरिम जमानत देने का यह सही समय नहीं है।”
बेटे की परीक्षाओं का दिया था हवाला
बात करें कविता की तो इन्होनें अंतरिम जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि उनके 16 वर्षीय बेटे की परीक्षाएं हैं और उसे अपनी मां के “नैतिक और भावनात्मक समर्थन” की जरूरत है।
‘तत्काल पूछताछ की आवश्यकता नहीं’
वहीं अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा,- ‘प्रधानमंत्री खुद रेडियो पर परीक्षा की चिंता से निपटने के बारे में व्याख्यान देते हैं, क्योंकि परीक्षा के दौरान बच्चों पर दबाव होता है,’ यह इंगित करते हुए कि एक बच्चे के प्रति उसकी मां के भावनात्मक समर्थन को किसी और के द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है, सिंघवी ने तर्क दिया कि ईडी को के. कविता से किसी भी तत्काल पूछताछ की आवश्यकता नहीं है, इस आधार पर उन्हें अंतरिम जमानत दी जा सकती है।
प्रवर्तन निदेशालय ने क्या तर्क दिया ?

हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय ने के. कविता की अंतरिम जमानत याचिका पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें पीएमएलए की धारा 45 के तहत प्रावधान का लाभ नहीं मिलना चाहिए, ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील जोहेब हुसैन ने तर्क दिया कि यह प्रावधान उन महिलाओं पर लागू नहीं होता जो सार्वजनिक जीवन में हैं और राजनेता हैं। ईडी के वकील ने दावा किया कि के. कविता दिल्ली शराब नीति मामले में रिश्वत के रूप में ली गई धनराशि के प्रमुख संचालकों में से एक थीं। वकील ने कहा, ‘वह (के कविता) न केवल रिश्वत की व्यवस्था करने में शामिल थीं, बल्कि लाभार्थी भी थी।’
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