Bihar News: इन दिनों बिहार (Bihar) में पुल गिरने की घटनाओं ने रफ्तार पकड़ ली है। सिवान जिले में पिछले 12 घंटे के भीतर तीन पुल गिर चुके हैं। पहली घटना महाराजगंज अनुमंडल के पटेढ़ा गांव स्थित देवरिया गांव में घटी, जहां गंडक नदी पर बना पुल बुधवार को अचानक ध्वस्त हो गया। इस तरह की लगातार हो रही घटनाओं से सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 24 घंटे से लगातार बारिश हो रही है और पुल की कभी मरम्मत नहीं हुई है, इसी कारण पुल आज टूट गया। यह पुल 35 से 40 वर्ष पुराना था और सैकड़ों लोगों के आने-जाने का मात्र एक ही साधन था।
तेवथा पंचायत में गिरा दूसरा पुल
दूसरी घटना महाराजगंज प्रखंड के तेवथा पंचायत में हुई, जहां नौतन और सिकंदरपुर गांव के बीच बना पुल गिर गया। इस पुल के ध्वस्त होने से ग्रामीणों में आवागमन को लेकर चिंता बढ़ गई है।
धमई गांव में गंडक नदी पर बना तीसरा पुल गिरा
तीसरी घटना धमई गांव में गंडक नदी पर बने पुल के ध्वस्त होने की है। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दिन पहले ही इस पुल की मरम्मत हुई थी, फिर भी यह टूट गया। पानी के तेज बहाव को पुल टूटने का कारण बताया जा रहा है। हालांकि, इस हादसे में किसी जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन पुल गिरने के बाद दोनों तरफ के गांवों में भीड़ जमा हो गई है और ग्रामीण काफी चिंतित हैं कि अब आवागमन कैसे होगा।
बैक टू बैक पुल ध्वस्त होने से गांवों का संपर्क टूटा
सीवान में लगातार बारिश के कारण बैक टू बैक तीन पुल गिरने से कई गांवों का संपर्क टूट गया है। पहली घटना महाराजगंज अनुमंडल के पटेढ़ा गांव और देवरिया गांव के बीच की है, जहां गंडक नदी पर बना 35 साल पुराना पुल का एक पाया धंस गया और देखते ही देखते पुल गंडक नदी में समा गया।
गंडकी नदी पर बना पुल धंसने से हड़कंप
महाराजगंज अनुमंडल के देवरिया पंचायत के पड़ाइन टोला के पास गंडकी नदी पर बना पुल अचानक धंस गया है। इस पुल के धंसने से करीब एक दर्जन गांवों का आवागमन बाधित हो गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, बीती रात करीब 1 बजे के आसपास पुल धंस गया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। पुल धंसने के कारण लोग परेशान हैं और प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने में लगा हुआ है।
गरौली गांव में भी हुआ था पुल हादसा
गौरतलब है कि महाराजगंज अनुमंडल में ही 10 दिन पहले गरौली गांव के पास गंडकी नदी पर बना पुल भी ध्वस्त हो गया था। इन लगातार हो रही घटनाओं से ग्रामीणों में भय का माहौल है और वे पुराने पुलों की स्थिरता को लेकर चिंतित हैं।