राजस्थान के दौसा जिले के कालीखाड़ गांव में पांच वर्षीय आर्यन को बचाने का रेस्क्यू ऑपरेशन सिलसिला आज (बुधवार) को तीसरे दिन भी जारी है। आर्यन सोमवार शाम खेत में खेलते समय बोरवेल में गिर गया था। घटना के बाद से प्रशासन, एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) और अन्य बचाव टीमें मिलकर बच्चे को सुरक्षित निकालने का प्रयास कर रही हैं। रेस्क्यू टीम ने बोरवेल के पास एक समानांतर गड्ढा खोदने की प्रक्रिया शुरू की थी, ताकि बच्चे तक पहुंचा जा सके। ऑक्सीजन की आपूर्ति लगातार की जा रही है और बोरवेल के अंदर कैमरों के माध्यम से उसकी स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
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आर्यन की माँ ने लगाए प्रशासन पर आरोप
राजस्थान के दौसा जिले में 5 साल का मासूम आर्यन बोरवेल में गिरने के बाद से 47 घंटे से फंसा हुआ है। बच्चे को बाहर निकालने के लिए प्रशासन और बचाव दल लगातार प्रयास कर रहे हैं। इस बीच, आर्यन की मां ने प्रशासन पर देरी और लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना है.. प्रशासन सिर्फ खानापूर्ति का रही है। हालांकि आर्यन के पिता का कहना ये है… प्रशासन पूरी मेहनत से अपना काम कर रही है।
आधुनिक उपकरणों की ली जा रही है मदद
रेस्क्यू ऑपरेशन में आधुनिक उपकरणों और विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। प्रशासन का कहना है कि… बच्चे की सुरक्षित वापसी उनकी प्राथमिकता है। ग्रामीणों और परिवार के सदस्यों की उम्मीदें बचाव टीम पर टिकी हैं, और वे लगातार उनके प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं।यह घटना सभी के लिए भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण बन गई है। बचाव अभियान के दौरान टीम को कई तकनीकी और भौगोलिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि बोरवेल की गहराई और बच्चे की स्थिति दोनों ही संवेदनशील हैं।इस प्रकार की घटनाएं बोरवेल सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े करती हैं। भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है। बच्चे के सुरक्षित बाहर आने की प्रतीक्षा और प्रार्थना हर किसी के मन में है।
प्रशासन की बढ़ रही है चिंता
आर्यन को सुरक्षित बाहर निकालने के सभी प्रयास विफल रहे हैं। 44 घंटे से अधिक समय से वह बोरवेल के अंदर फंसा है, और इस दौरान उसे खाना या पानी नहीं दिया जा सका है। NDRF और SDRF की टीमों ने 6 बार विभिन्न तरीके अपनाए, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली है।इसके अलावा, ऑपरेशन में लगे 10 जेसीबी और अन्य मशीनों से खुदाई भी प्रभावी साबित नहीं हुई है। प्रशासन की चिंता अब इस बात को लेकर बढ़ रही है कि इतने लंबे समय तक बच्चे से संपर्क नहीं हो पाया है। परिवार भी चिंतित है, क्योंकि आर्यन की स्थिति के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही है। अब प्रशासन ने हाईटेक मशीनों का सहारा लिया है, लेकिन इस मुश्किल बचाव अभियान में सफलता पाने के लिए हर प्रयास किया जा रहा है।
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अब तक 6 देसी जुगाड़ फेल हुए
आर्यन को निकालने के लिए NDRF ने सोमवार शाम से मंगलवार देर रात तक 6 देसी जुगाड़ों के जरिए उसे बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन सभी प्रयास विफल हो गए।पांचवे प्रयास में बोरवेल में एक अम्ब्रेला उपकरण को इन्स्टॉल किया गया, लेकिन इससे कोई सफलता नहीं मिली। फिर देर रात छठे प्रयास में बोरवेल में एक रिंग डालकर बच्चे के हाथ और पैर में रस्सी फंसाकर उसे बाहर निकालने की कोशिश की गई, लेकिन रस्सी अपनी पकड़ नहीं बना सकी और बच्चे को बाहर निकालने में सफलता नहीं मिल पाई।इन प्रयासों के विफल होने से प्रशासन और परिवार की चिंता और बढ़ गई है, क्योंकि अब तक बच्चे से कोई संपर्क नहीं हो सका है। इस दौरान, रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीमों ने हर संभव कोशिश की, लेकिन स्थिति अब भी नाजुक बनी हुई है।
किरोड़ी लाल मीणा ने जताई चिंता
बीती रात दौसा सांसद मुरारी लाल मीणा अल सुबह दिल्ली से दौसा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने आर्यन के स्वास्थ्य और आगे की जानकारी ली।सूचना मिलते ही संबधित विभाग से दस लाख रुपए जिला प्रशासन को दिए गए है, और जिला कलेक्टर सहित सभी अधिकारी बेटे आर्यन को सकुशल बाहर निकालने के लिए लगातार प्रयास का रही है।
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हाथ में दूध की बोतल और आंखों में आर्यन का इंतज़ार
आर्यन के माता-पिता की स्थिति अत्यधिक कठिन हो गई है। घटनास्थल पर मंगलवार को बच्चे के लिए दूध की बोतल और दूध पाउडर लाया गया, लेकिन उसे बच्चे तक नहीं पहुंचाया जा सका। इस बीच, आर्यन को बोरवेल में गिरने के बाद से अब तक पानी तक नहीं दिया जा सका है।आर्यन के माता-पिता पूरे समय बेहद तनाव में रहे और दूध की बोतल लेकर वहां इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि बच्चे तक यह सामान पहुंच सकेगा। लेकिन दुर्भाग्यवश, बोरवेल में बच्चे के तक पहुंचने की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई, जिससे परिवार की चिंता और भी बढ़ गई है। इस कठिन परिस्थिति में हर कोई बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।