Bombay High Court: बॉम्बे HC ने पति के पक्ष में एक फैसला लेते हुए पति के ऊपर लगाए गए मानसिक और शारीरिक शोषण के आरोप को खारिज किया हैं। अपका बता दे कि एक पत्नी ने अपने पति के ऊपर मानसिक और शारीरिक शोषण के आरोप लगाया था। यहीं नहीं ये किस्सा अदालत तक पहुंच गया। जिसके बाद अदालत ने पत्नी के लगाए आरोपो को मराठी कहावत का करार दे कर पत्नी की दायर याचिका को खारिज कर दिया।
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न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और शर्मिला देशमुख की पीठ ने कहा
बॉम्बे HC ने कहा , यह कहना कि पति ने राज्य मे बहुतायत में प्रयोग में लाई जाने वाली एक मराठी कहावत को ‘तुला अक्कल नहीं, तू येड़ी अहेस’ को मानसिक शोषण नहीं माना जा सकता हैं। जिसका हिंदी अर्थ ‘तुम्हे अक्ल नहीं हैं, तुम पागल हो’। HC के न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और शर्मिला देशमुख की पीठ ने कहा, किसी भी तरह से यह कहना कि ‘तुला अक्कल नहीं, तू येड़ी अहेस’ को किसी भी स्थिति में मानसिक शोषण नहीं माना जा सकता हैं। इसको गाली की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता हैं। पत्नी ने अदालत से कहा था कि उसका पति उसका शारीरिक और मानसिक शोषण करता हैं।
इनको मतभेदों का सामना करना पड़ा
आपको बता दे कि इस जोड़े की शादी 2007 में हुई थी, लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही इनको मतभेदों का सामना करना पड़ा। पत्नी ने अदालत में अपने पति के खिलाफ बयान देते हुए कहा कि उनका पति देर रात को घर लौटकर आता हैं और फिर उनको बेइज्जत करने के इरादे से उन पर चिल्लाता हैं।अदालत ने कहा, पत्नी ने उन प्रमुख घटनाओं का उल्लेख नहीं किया हैं, जिनमें ऐसे किसी व्यवहार का पता चलता हो। जिसके आधार पर कहा जा सके की पति पत्नी का शोषण करता हैं।
पति ने आरोप लगाया कि उसका संयुक्त परिवार हैं और उसने शादी से पहले ही बता दिया था कि पत्नी को पहले से ही पता था कि वे संयुक्त परिवार में रहेंगे लेकिन शादी के बाद उसने इस बात को लेकर शिकायत करनी शुरू कर दी। वह अलग रहना चाहती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पत्नी उनके माता-पिता का सम्मान नहीं करती हैं और न ही उनकी देखभाल करती हैं। पत्नी ने पति के परिजनों पर उसको हमेशा अपमानित करने का आरोप लगाया था।