BJP Big Claims: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शुक्रवार, 11 अक्टूबर को एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि विपक्षी गठबंधन INDIA के घटक दल लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (LOP) की भूमिका में बदलाव करने पर विचार कर रहे हैं। बीजेपी का कहना है कि अगर विपक्षी गठबंधन को लगता है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से नहीं निभा रहे हैं, तो उन्हें इस पद पर बदलाव करना चाहिए।
LOP पद के लिए कई सक्षम नेता मौजूद
नई दिल्ली से बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि विपक्ष के पास कई सक्षम नेता हैं जो नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह विपक्षी गठबंधन का आंतरिक मामला है और निर्णय पूरी तरह से उन्हें ही लेना होगा। उन्होंने कहा, “मैंने भी सुना है कि नेता प्रतिपक्ष के पद को रोटेशनल बनाने की बात चल रही है, लेकिन यह पूरी तरह से विपक्ष का आंतरिक मामला है। अगर उन्हें लगता है कि राहुल गांधी अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर रहे हैं, तो उन्हें इस पर विचार करना चाहिए।”
10 प्रतिशत सीटों वाले दल से होना चाहिए LOP
वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि नियमों के अनुसार, किसी भी दल के सांसद को नेता प्रतिपक्ष तभी नियुक्त किया जा सकता है जब उस दल के पास लोकसभा में कम से कम 10 प्रतिशत सीटें हों। चूंकि कांग्रेस सदन में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है, इसलिए राहुल गांधी को LOP बनाया गया है। बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज की यह टिप्पणी उस समय आई जब उनसे लोकसभा में प्रतिपक्ष के पद को रोटेशनल बनाने की संभावनाओं के बारे में सवाल किया गया। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों में कई ऐसे नेता हैं जो इस पद की जिम्मेदारी को अच्छे से निभा सकते हैं, और अगर राहुल गांधी इस भूमिका में सफल नहीं हो रहे हैं, तो विपक्ष को यह फैसला लेना चाहिए।
आम आदमी पार्टी और शिवसेना (यूबीटी) ने भी दी प्रतिक्रिया
विपक्षी गठबंधन में आंतरिक मतभेद और चुनावी रणनीतियों को लेकर भी चर्चाएं जारी हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं ने कांग्रेस और राहुल गांधी की रणनीतियों की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष ने एकजुट होकर हरियाणा चुनाव लड़ा होता और सीटों का सही विभाजन किया जाता, तो नतीजे अलग हो सकते थे। AAP ने यह भी घोषणा की है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव वह स्वतंत्र रूप से लड़ेगी और किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी।
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शिवसेना (यूबीटी) ने भी कांग्रेस को दी सलाह
कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) ने भी हरियाणा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस को आत्ममंथन की सलाह दी है। अपने मुखपत्र ‘सामना’ में पार्टी ने कहा कि कांग्रेस को हरियाणा चुनाव से सबक लेना चाहिए। शिवसेना का कहना है कि कांग्रेस की प्रवृत्ति जीत को हार में बदलने की रही है, और इसे बदलने की जरूरत है।
सीपीआई नेता डी. राजा ने भी आलोचना
सीपीआई नेता डी. राजा ने भी हरियाणा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि INDIA गठबंधन ने हरियाणा में मिलकर चुनाव नहीं लड़ा, जिससे बीजेपी को फायदा हुआ। राजा ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस को अपने दृष्टिकोण पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे नतीजे न हों।
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सपा ने भी की उम्मीदवारों की घोषणा
इस बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) ने हरियाणा चुनाव परिणाम के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश में आगामी 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए छह उम्मीदवारों की घोषणा की। यह तब हुआ जब कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव में सपा को किनारे कर दिया था। हालांकि, बाद में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस गठबंधन बना रहेगा।
क्या राहुल गांधी की भूमिका पर INDIA गठबंधन करेगा पुनर्विचार?
बीजेपी के इस दावे के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या विपक्षी दल राहुल गांधी की नेता प्रतिपक्ष की भूमिका पर पुनर्विचार करेंगे। वहीं, विपक्षी दलों की तरफ से अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अंदरूनी चर्चाओं में यह विषय जरूर गर्म होता नजर आ रहा है।