नालंदा संवाददाता : Virendra Kumar
नालंदा : मुख्यमंत्री के गृह जिला गिरियक प्रखंड के गाजीपुर पंचायत के लोग आज भी 50 साल पीछे के इतिहास में जीने को मजबूर है। आज भी यह गांव अंग्रेजों की याद को ताजा करता है। दरअसल गांजीपुर पंचायत के सकूची सराय से सकुची डीह गांव के बीच सकरी नदी बहती है। जिसमें सालों भर पानी जमा रहता है। सैकड़ो ग्रामीण रोजाना हर काम के लिए सकरी नदी को पार करना पड़ता है। जिसके लिए एकमात्र साधन नाव ही सहारा है।
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नाव का लेना पड़ता सहारा..
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के वक्त सांसद और विधायक इस सकरी नदी पर पुल बनाने को लेकर आश्वासन तो देते हैं लेकिन उनका यह आश्वासन चुनाव जीतने के बाद हवा हवाई हो जाती है। सबसे बड़ी विडंबना यह है की जिस नाम से स्कूल बच्चे पढ़ने और ग्रामीण हर काम के लिए एक गांव से दूसरे गांव रोजाना पार करते हैं वह नाव ही ग्रामीणों के द्वारा सौ सौ रुपया चंदा करके ही खरीदा गया है। रोजाना सैकड़ो बच्चों को स्कूल जाने के लिए इसी नाव का सहारा लेना पड़ता है।
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इन जनप्रतिनिधियों के द्वारा भी कोई ठोस पहल नहीं..
स्कूल जाने के वक्त हमेशा बच्चों के जान हलक में अटका होता है।ग्रामीण गोपाल कुमार,सूर्यकांत वर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री श्रवण कुमार नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार और राजगीर विधायक कौशल किशोर से पूल निर्माण को लेकर मिन्नते भी की गई लेकिन इस पर इन जनप्रतिनिधियों के द्वारा भी कोई ठोस पहल नहीं की गई।
ग्रामीणों ने बताया कि राजगीर विधानसभा क्षेत्र से लगातार चालीस सालों तक रहे उस वक्त के तत्कालीन विधायक सत्य नारायण आर्य और वर्तमान में जदयू विधायक कौशल किशोर से इस सकरी नदी पर पुल बनाने की शिकायत की गई है लेकिन इन जनप्रतिनिधियों के कान पर जूं नहीं रेगती है।