सहरसा संवाददाता : शिव कुमार
सहरसा : कहरा प्रखंड के मुरली बसंतपुर के लोगों का कसूर क्या है जिन्हें आजादी के बाद से विकास के नाम पर एक अदद पुल तक नहीं दिया गया। ढेमरा नदी के कारण यह गांव दशकों से दो भागों में बंटा है। इस गांव में भी 500 से अधिक वोटर हैं। हर चुनाव में ये डालते हैं। इनके वोट से आज तक जीतने वाले जनप्रतिनिधि इन्हें सरकार के विकास योजनाओं का हिस्सा नहीं बनाते। पुल नहीं रहने के कारण एक ही टोला और समाज के लोग दो भागों में बटे हुए हैं।
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लगभग 5 साल बाद गिर गया..
ही नहीं पढ़ाई करने वाले स्कूली बच्चे को अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए नदी की वजह से करीब 3 किमी से अधिक दूरी तय करनी पड़ती जबकि एक टोला से दूसरे टोला जहां स्कूल अवस्थित है वहां की बीच की दूरी महज 200 मीटर ही है। ग्रामीणों ने अपने स्तर से लगभग चार लाख रुपए र की लागत से डेमरा नदी के बीचों वर्ष पूर्व एक चचरी का पुल बनाया था। लेकिन बीच कुछ साल बाद चचरी पुल सड़ कर बर्बाद होकर नदी लगभग 5 साल बाद गिर गया। इस कारण एक में ही के लोग दो भागों में बंट गए हैं।
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बच्चों की पढ़ाई लिखाई में भी दिक्कत आ रही ..
आलम यह है कि नाव के सहारे लोग आगमन करते हैं। या फिर तीन किमी का चक्कर लगाने के टोला पर पहुंचना उनकी मजबूरी हो जाती है बाद अपने ही गांव के सामाजिक कार्यकर्ता रोहित कुमार,अरशद सहित ग्रामीणों ने बताया कि सदियों से सहरसा जिले के कहरा प्रखंड मुरली बसंतपुर वार्ड न. 08 दो भागो में बटा हुआ है। बीच में नदी रहने के कारण बच्चों की पढ़ाई लिखाई में भी दिक्कत आ रही है।