Bihar Bridge collapse: बिहार में पुलों के गिरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला भागलपुर (Bhagalpur) के पीरपैंती प्रखंड का है, जहां बाबूपुर-बाखरपुर पूर्वी पंचायत के बीच स्थित पीडब्ल्यूडी द्वारा निर्मित पुल अचानक टूटकर गिर गया है। इस हादसे के बाद क्षेत्र में आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया है। बताया जा रहा है कि यह पुल महज दो साल पहले बनाया गया था, लेकिन देर रात यह ध्वस्त हो गया, जिससे आसपास की बड़ी आबादी प्रभावित हुई है।
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पांच पंचायतों का संपर्क टूटा
मिली जानकारी के अनुसार, पुल टूटने से करीब पांच पंचायतों की आबादी प्रखंड मुख्यालय और बाजार से पूरी तरह कट गई है। ग्रामीणों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति को समझने की कोशिश की, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की अब तक कोई उपस्थिति नहीं देखी गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल ध्वस्त होने से लगभग एक लाख की आबादी का संपर्क मुख्य क्षेत्रों से टूट चुका है, लेकिन अभी तक कोई राहत कार्य शुरू नहीं हुआ है।
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ग्रामीण जान जोखिम में डालकर कर रहे आवाजाही
पुल गिरने की वजह से इलाके के ग्रामीण बेहद परेशान हैं। उनकी मजबूरी यह है कि कोई वैकल्पिक रास्ता न होने के कारण लोग अपनी जान जोखिम में डालकर पानी के बीच से आवाजाही कर रहे हैं। कई लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए टूटी हुई पुल की जगह से गुजरने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे उनके जीवन को खतरा है। ग्रामीणों ने राज्य सरकार से जल्द से जल्द वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है ताकि उनके जीवन में आ रही दिक्कतों का समाधान हो सके।
गंगा नदी में बाढ़ से हालात और गंभीर, 12 जिलों में तबाही
भागलपुर समेत बिहार के अन्य 12 जिलों में गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। ऐसे में पुल का टूटना यहां के लोगों के लिए एक और बड़ी चुनौती बन गया है। बाढ़ के कारण कई इलाके पहले से ही संकट में थे, और अब पुल गिरने से आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है।
सरकार की कार्यक्षमता पर उठे सवाल
बिहार में पुलों के गिरने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिसने राज्य सरकार की कार्यक्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। महज दो महीने पहले महाराजगंज अनुमंडल के रौली गांव के पास गंडकी नदी पर बना पुल ध्वस्त हो गया था। इसके अलावा, महाराजगंज प्रखंड के तेवथा पंचायत में भी नौतन और सिकंदरपुर गांव के बीच बना पुल गिर गया था। तीसरी घटना धमई गांव में गंडक नदी पर बने पुल की है, जो कुछ दिन पहले ही मरम्मत किया गया था, लेकिन फिर भी टूट गया।
विकास योजनाओं पर तंज, जनता में आक्रोश
पुलों के लगातार गिरने की घटनाओं ने सरकार की विकास योजनाओं और निर्माण कार्यों पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता के बीच सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सरकार को अपनी साख बचाने और जनता को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। लगातार हो रही घटनाएं दिखाती हैं कि राज्य में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए अभी काफी काम किया जाना बाकी है।
क्या सरकार देगी जवाब?
पिछले कुछ महीनों में बिहार में पुलों के गिरने की कई घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन हर बार प्रशासन की ओर से सिर्फ जांच के आदेश दिए जाते हैं और वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं होता। ऐसे में जनता सवाल पूछ रही है कि आखिर सरकार कब तक इस तरह की लापरवाही बरतती रहेगी और कब तक जनता को इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा? पुलों का टूटना न केवल राज्य की विकास योजनाओं की पोल खोल रहा है, बल्कि यह जनता की सुरक्षा और बुनियादी जरूरतों की अनदेखी का एक बड़ा उदाहरण भी बन गया है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस समस्या का समाधान कब तक करती है और क्या वैकल्पिक व्यवस्था जल्दी मुहैया कराई जाती है?