राजस्थान के चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड में शव को ठिकाने लगाने वाला हिस्ट्रीशीटर विशनाराम पुलिस ने दबोच लिया उसने पुलिस को देख भागने की कोशिश की, लेकिन गिर गया और घायल हो गया फिलहाल उसका इलाज चल रहा है।
1 लाख का इनामी हिस्ट्रीशीटर विशनाराम को पुलिस की गिरीफ्त में हैबता दे कि शनिवार को ग्रामीण पुलिस ने उसे लोहावट क्षेत्र से दबोचा है। पुलिस को देख उसने भागने की कोशिश की थी, लेकिन वह गिरकर घायल हो गया। उसे लोहावट अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे एमडीएम हॉस्पिटल रेफर किया गया है। बता दे कि विशनाराम मोस्टवांटेड आरोपी है, और उसके खिलाफ कई थानों में मुकदमे दर्ज हैं, विशनाराम 0029 नाम से गैंग भी चलाता है।
जोधपुर ग्रामीण पुलिस के कांस्टेबल व टेक्निकल टीम की रही अहम भूमिका…
एसपी यादव के अनुसार विशनाराम की गिरफ्तारी में जोधपुर ग्रामीण पुलिस की जिला विशेष टीम के कांस्टेबल चिमनाराम की सूचना और टेक्निकल डाटाबेस की अहम भूमिका रही। इसमें ग्रामीण पुलिस के साइबर टेक्निकल एक्सपर्ट एएसआई अमानाराम के साथ श्रवण कुमार, प्रदीप कुमार, मदनलाल, मोहनराम, वीरेंद्र कुमार ने भी सराहनीय कार्य किया। वांछित इनामी बदमाश के दयाकोर गांव पहुंचने की सूचना पर फलोदी जिला पुलिस के साथ गांव दयाकौर के पास पहुंचने और यहां बदमाश द्वारा पुलिस टीम की घेराबंदी तोड़कर स्कॉर्पियो से उतरकर भागने की कोशिश की। इसी कोशिश में वह तारबंदी में उलझ गया और पत्थरों पर गिरने से उसके पैरों में चोट आई। इस संबंध में उसके खिलाफ अलग से राजकार्य में बाधा व पुलिस पर जानलेवा हमला करने का मामला दर्ज किया जा रहा है।
विशनाराम का भंवरी हत्याकांड में क्या था रोल…
ड्यूटी से गायब रहने वाली एएनएम भंवरी को जब नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया तो उसने मंत्री-विधायक से संपर्क किया। नौकरी पर बहाल हुई तो बोल-चाल बढ़ी। महत्वकांभी भंवरी के मंत्री विधायक से संबंध बन गए। इसके बाद ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू हुआ। दावा किया कि उसके पास तत्कालीन मंत्री महिपाल मदेरणा और लूणी विधायक मलखान सिंह की सेक्स सीडी है। सीडी हासिल करने के लिए और भंवरी को रास्ते से हटाने के लिए साजिश रची गई।
20 जून को भागा था…
विशनाराम 0029 नामक गैंग चलाता था. सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहता था। इसी साल लोहावट क्षेत्र में 20 जून को विशनाराम पुलिस के हाथ आते-आते बच गया था। उस दिन पुलिस ने कुल 12 राउंड फायर किए थे। इस दौरान विशनाराम गाड़ी छोड़कर भाग गया था। उसका ड्राइवर श्रवण भी भागते हुए गिर पड़ा, जिसे पुलिस ने पकड़ा था।
सबूत मिटाने वाले किरदार- विशनाराम, ओमप्रकाश, कैलाश…
विशनाराम उस वक्त लोहावट का हिस्ट्रीशीटर था। उसे कहा गया था कि लाश ठिकाने लगा दी तो उस पर लगे चार्ज हटा दिए जाएंगे। विशनाराम का भाई ओमप्रकाश व एक अन्य कैलाश ने पहले से शव को जलाने का इंतजाम कर रखा था। देर रात वे शव को जालोड़ा में अपने गांव से निकल रही नहर (राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल) के पास ले गए। वहां गड्ढे में लकड़ियां पेट्रोल डाल शव को आग लगा दी। शव की राख व हडि्डयों के टुकड़े नहर के पानी में बहा दिए। फिर गड्ढे की मिट्टी खोदकर नहर में डाल दी।
इस मामले में महिपाल मदेरणा, मलखान सिंह समेत 17 लोग 10 साल की जेल काट चुके हैं। 2021 में आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।