Jharkhand: झारखंड (Jharkhand) की राजनीति में काफी दिनों से सियासी घमासान मचा हुआ है ..ये घमासान तब शुरु हुआ जब चंपाई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफा देते ही राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई और बयानबाजी और कयासों का सिलसिला शुरु हो गया. आज झारखंड की राजनीति में काफी अहम दिन है. राज्य की राजनीति में आज दो बड़े बदलाव होने जा रहे है. पहला ये कि पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी नेता चंपाई सोरेन भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अपने बेटे बाबूलाल के साथ शामिल होने जा रहे है. दूसरा ये कि हेमंत सोरेन सरकार में चंपाई सोरेन की जगह घाटशिला के झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) विधायक रामदास सोरेन कैबिनेट मंत्री बन गए है.
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रामदास सोरेन ने ली मंत्री पद की शपथ
आज घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन ने राजधानी रांची में दिशोम गुरु शिबू सोरेन के आवास पर जाकर उनसे आशीर्वाद लिया. मंत्री पद की शपथ लेने से पहले, रामदास सोरेन और उनकी पत्नी पूरे परिवार के साथ शिबू सोरेन के निवास पर पहुंचे. यहां उन्होंने गुरुजी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रमुख नेता रामदास सोरेन ने आज झारखंड के मंत्री के रूप में शपथ ले ली है. राज्यपाल संतोष गंगवार ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है. बता दे कि रामदास सोरेन को चंपाई सोरेन की जगह झारखंड सरकार में मंत्री नियुक्त किया गया है.
झारखंड की राजनीति में 6 महीनों के भीतर बड़े बदलाव
आपको बता दे कि झारखंड (Jharkhand) की राजनीति में पिछले छह महीनों के दौरान बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. 31 जनवरी के बाद से राजनीतिक घटनाओं की श्रृंखला ने पूरे राज्य की राजनीति को हिला कर रख दिया है. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और फिर रिहाई, चंपाई सोरेन की ताजपोशी और बाद में उनकी नाराजगी ने JMM के भीतर गहरे दरार पैदा कर दी है. चंपाई सोरेन ने हाल ही में पार्टी, पद और विधायकी से इस्तीफा दे दिया था, जिसके पीछे उनका हेमंत सोरेन के साथ असंतोष प्रमुख कारण बताया जा रहा है.
चंपाई सोरेन का राजनीतिक सफर
चंपाई सोरेन, जो झारखंड (Jharkhand) की राजनीति में कोल्हान टाइगर के नाम से जाने जाते हैं, सात बार विधायक रह चुके हैं और सरायकेला से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. उन्होंने झारखंड आंदोलन में शिबू सोरेन के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और आदिवासी अधिकारों के लिए अपनी अलग पहचान बनाई. 31 जनवरी को जब हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया, तब चंपाई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया और 2 फरवरी को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, जिसके बाद से ही उनके और हेमंत सोरेन के बीच दरार बढ़ती गई.
चंपाई सोरेन की नाराजगी और BJP में शामिल होने का फैसला
चंपाई सोरेन की नाराजगी तब और बढ़ गई जब उन्हें अपने सीएम रहते कई बार अपमानित किया गया. उनके मुताबिक, उन्हें विधायक दल की बैठकों में शामिल नहीं किया गया और उनकी राय को नजरअंदाज किया गया. चंपाई का कहना है कि उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि पार्टी में उनका कोई वजूद नहीं बचा है. अंततः, उन्होंने BJP में शामिल होने का फैसला किया और इसकी घोषणा 26 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद की.
चंपाई सोरेन और झारखंड की BJP के बीच बढ़ती करीबी
चंपाई सोरेन के BJP में शामिल होने से झारखंड (Jharkhand) की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है. उनके इस कदम से BJP को राज्य में मजबूत आधार मिलेगा, विशेषकर कोल्हान क्षेत्र में, जहां चंपाई का काफी प्रभाव है. इस बदलाव के बाद, झारखंड BJP के पास अब चार पूर्व मुख्यमंत्री होंगे, जिससे पार्टी को आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण बढ़त मिल सकती है.
हेमंत सोरेन सरकार के सामने चुनौतियां
चंपाई सोरेन के इस कदम से हेमंत सोरेन सरकार के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं. हेमंत सोरेन को अब अपने कोर वोटर्स, खासकर आदिवासी वर्ग को एकजुट रखना होगा और विपक्ष के हमलों का सामना करना होगा. आगामी चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड की राजनीति में ये बदलाव किस दिशा में जाते हैं और कौन से नए समीकरण बनते हैं.
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