भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक बड़े घोटाले का खुलासा किया है, जो भारतीय Stock Market से जुड़ा हुआ है। इस घोटाले में उन लोगों का नाम सामने आ रहा है जो पहले भी निवेशकों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के आरोप में जेल जा चुके हैं। इस घोटाले में एक प्रमुख केतन पारेख का नाम सामने आया है जिनके ऊपर “फ्रंट-रनिंग” घोटाले का आरोप है।यह घोटाला वित्तीय बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हुआ है।इस घोटाले में अब एक नया खुलासा हुआ है जिसमें केतन पारेख की पत्नी की अहम भूमिका सामने आई है।
पारेख की पत्नी से मिले अहम साक्ष्य
SEBI को इस घोटाले का पता तब चला जब पारेख की पत्नी के फोन से कुछ महत्वपूर्ण जानकारी मिली।पारेख की पत्नी के फोन से मिली जानकारी के मुताबिक,इस घोटाले के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया।उनके फोन में ऐसी जानकारी मिली, जिससे यह साबित हुआ कि पारेख और उनकी पत्नी ने कई ब्रोकरों के माध्यम से निवेशकों के लेन-देन की जानकारी प्राप्त की और उसे अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल किया।
कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला?
केतन पारेख और उनके साथियों ने बड़े निवेशकों की सभी तरह की गतिविधियों की पहले सारी जानकारी हासिल की और जानकारी के आधार पर कई सारे शेयर खरीदे ताकि जैसे ही उस जानकारी के आधार पर बड़े निवेशक शेयर खरीदें, उन शेयरों की कीमत बढ़ जाए और वे पहले से खरीदी गई स्थिति से मुनाफा कमा सकें।
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सेबी की कार्रवाई
इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कठोर कार्रवाई की।सेबी ने पाया कि,केतन पारेख और उनकी टीम ने ब्रोकरों और अन्य संस्थाओं के माध्यम से इस घोटाले को अंजाम दिया।उनके फोन से मिली जानकारी ने इस घोटाले के नेटवर्क का पर्दाफाश किया,जिसके बाद केतन पारेख और अन्य आरोपियों के खिलाफ एक्शन लेते हुए 65.77 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जब्त की गई और 22 संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की गई।
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निवेशकों के लिए संदेश
यह घोटाला निवेशकों को यह संदेश देता है कि,वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए नियामक संस्थाएं हमेशा सक्रिय रहती हैं।फ्रंट-रनिंग और अन्य अवैध गतिविधियों से बाजारों में गड़बड़ी उत्पन्न हो सकती है लेकिन इन पर कड़ी निगरानी और सजा के प्रावधान से ऐसे धोखाधड़ी के मामलों पर अंकुश लगाया जा सकता है।इस मामले से यह स्पष्ट होता है निवेशकों को ऐसी गतिविधियों के बारे में जागरूक रहना चाहिए और सेबी जैसी संस्थाओं की कार्यवाही से यह भी साफ हो गया कि वित्तीय धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है।