Chhattisgarh Reservation: प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे है। चुनाव जैसे – जैसे नजदीक आते जा रहे है। भूपेश बघेल आरक्षण विधेयकों का मुद्दा एक बार फिर से जोरों- शोरों से उठा रही है। सीएम भूपेश बघेल एक पटेल समुदाय के कार्यक्रम मे बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार नही चाहती की प्रदेश की जनता को आरक्षण का लाभ मिलें।
इससे पहले छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दे दी थी। सुपीर्म कोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण पर लगी रोक को हटा दिया था। जिसके बाद आज यह फैसला लिया गया। छत्तीसगढ़ सरकार ने आज प्रदेश की जनता के लिए अहम फैसला लिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पर 58 फीसदी आरक्षण लागू किया है। आज छत्तीसगढ़ सरकार ने कैबिनेट में यह अहम फैसला लिया गया। यह 58 फीसदी आरक्षण सभी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए मान्य होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आरक्षण तय
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कैबिनेट की बैठक में प्रदेश की जनता के लिए एक अहम फैसला लिया है। छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव आने वाले है। भूपेश बघेल ने सरकार प्रदेश की जनता को लुभाने मे लग गई है। विधानसभा चुनाव से पहले सीएम भूपेश बघेल ने ST-SC, OBC के लिए 58% आरक्षण लागू किया गया। बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप यह आरक्षण तय किया है। इसके साथ ही इसी आरक्षण के आधार पर प्रदेश में सरकारी नौकरियों में भर्ती, प्रमोशन और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश का रास्ता आसान हो गया है।
कैबिनेट में लिया बड़ा फैसला
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने सोमवार को सीएम आवास पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की एक अहम बैठक की गई । बैठक में सभी मंत्री शामिल हुए थे। इसके साथ ही डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव और आबकारी मंत्री कवासी लखमा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कैबिनेट की बैठक में शामिल हुए। बैठक करीब 30 मिनट तक चली जिसमें आरक्षण को लेकर अहम फैसला लिया गया।
सरकार ने राज्य के शैक्षणिक संस्थाओं में पहले से प्रचलित आरक्षण व्यवस्था के अन्तर्गत प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण करने का निर्णय लिया गया है। इसके अनुसार अब पहले को तरह 58 प्रतिशत आरक्षण के साथ एडमिशन से लेकर बाकी सभी प्रक्रिया शैक्षणिक संस्थानों में होगी।
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लंबे समय चल रही थी आरक्षण की मांग
प्रदेश में आरक्षण को लेकर लंबे समय से मांग चल रही थी। प्रदेश में आरक्षण को लेकर लंबे समय से कई तरह के मसले सरकार और न्यायालय दोनों में चल रहे थे।
साल 2012 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने आरक्षण के स्वरूप में कई तरह के बदलाव किए थे। जिसमें SC का आरक्षण 12 फीसदी, ST का आरक्षण 32 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 फीसदी कर दिया था। इससे आरक्षण 58 फीसदी हो गया था। इस मसले पर करीब दस साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी गई और हाईकोर्ट ने 58 फीसदी आरक्षण के फैसले को खारिज कर दिया। लेकिन जब यह मसला सुप्रीम कोर्ट गया तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे कुछ शर्तों पर स्वीकार किया।
अब किसको कितना मिलेगा आरक्षण
पूरे प्रदेश में आदिवासियों ने आरक्षण बढ़ाने के लिए आंदोलन किया तब सरकार ने आरक्षण बढ़ाने के लिए विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया जो वर्तमान में राजभवन में अटका है। गौरतलब है कि बिलासपुर हाईकोर्ट में 2022 में राज्य के 58 प्रतिशत आरक्षण को निरस्त कर दिया था। इसके बाद आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की कुछ शर्तों पर स्वीकार कर लिया है। जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ में पुरानी आरक्षण व्यवस्था बहाली से पहले की तरह हो गया है। अब छत्तीसगढ़ राज्य में आरक्षण वर्ग एसटी 32 प्रतिशत, ओबीसी 14 और एससी 12 प्रतिशत हो गया है।