Nirmala Sitharaman:बेंगलुरु की एक अदालत ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ चुनावी बॉन्ड के जरिए कथित जबरन वसूली के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया हैं।केंद्रीय वित्त मंत्री के खिलाफ यह आदेश विशेष अदालत की ओर से दिया गया है उनके ऊपर लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी बॉन्ड के माध्यम से जबरन वसूली के आरोप हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश
निर्मला सीतारमण के खिलाफ कोर्ट ने यह आदेश आदर्श अय्यर जो जनाधिकार संघर्ष संगठन से जुड़े उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।आदर्श अय्यर ने निर्मला सीतारमण,ईडी अधिकारियों,पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा,भाजपा नेता नलिन कुमार कतील,तत्कालीन बीजेपी कर्नाटक अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र और बीजेपी कर्नाटक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।शिकायत पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बेंगलुरु के तिलक नगर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है।
सीएम सिद्धारमैया ने की इस्तीफे की मांग
वहीं कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय वित्त मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने निर्मला सीतारमण के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है उन्होंने कहा कि,इस मामले में 3 महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपी जानी चाहिए क्योंकि निर्मला सीतारमण केंद्रीय मंत्री हैं उनके खिलाफ जनप्रतिनिधियों की विशेष अदालत ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।केंद्रीय मंत्री चुनावी बॉन्ड के माध्यम से जबरन वसूली में शामिल थी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है उनको अब मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
BJP को लिया अपने निशाने पर
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले पर बीजेपी को अपने निशाने पर लेते हुए कहा कि,क्या भारतीय जनता पार्टी उनसे इस्तीफा देने के लिए अब कहेगी? उनके इस्तीफे के लिए भाजपा नेता कब विरोध प्रदर्शन और मार्च करेंगे? सीएम ने कहा,अगर मामले में निष्पक्ष जांच होती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस्तीफा देना पड़ेगा।
केंद्र सरकार ने 2018 में की थी चुनावी बॉन्ड की शुरुआत
आपको बता दें कि,केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत की थी इस योजना के तहत सरकार राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में नकद दान को खत्म करना चहाती थी जिससे राजनीतिक दलों को होने वाली फंडिंग में पारदर्शिता आ सके।एसबीआई के चुनावी बॉन्ड के जरिए कोई भी व्यक्ति या कंपनी अपने पसंदीदा राजनीतिक दलों को चंदा दे सकता था लेकिन इसका खुलासा नहीं किया जाता।इस साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी बॉन्ड के मामले पर विपक्ष ने सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे जिसकी गूंज सड़क से लेकर संसद तक में सुनाई दी थी विपक्ष के आरोपों और चुनावी बॉन्ड के खिलाफ दायर कई याचिकाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था।