Bareilly News: कैंट बोर्ड ने अवैध अतिक्रमण पर शिकंजा कसते हुए रक्षा भूमि पर बनाए गए दो दर्जन से अधिक मकानों पर बुलडोजर चला दिया। सोमवार को आर ए बाजार तोपखाना इलाके में अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत यह कार्रवाई की गई। जैसे ही कैंट बोर्ड की टीम मौके पर पहुंची, लोगों में अफरा-तफरी मच गई। अधिकारियों का कहना है कि इन मकानों को पहले ही चिन्हित कर लिया गया था, और मकान मालिकों को नोटिस भी जारी किए गए थे।
बिना नोटिस की गई कार्रवाई
वहीं जिनके मकान ढहाए गए, उनका कहना है कि उन्हें लिखित में कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी। स्थानीय निवासी अलका ने बताया कि उनका मकान 50 साल पुराना है, और उनकी मां भी इसी घर में पली-बढ़ी हैं। उन्होंने कहा, “सिर्फ दो दिन पहले अधिकारियों ने सामान हटाने के लिए कहा था, लेकिन कोई लिखित नोटिस नहीं दिया गया।” धन देवी नामक महिला ने बताया कि वह 25 साल से अपने मकान में रह रही थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले भी उनका मकान तोड़ा गया था, लेकिन बाद में उन्होंने दोबारा मकान बना लिया था। अब उनके पास कोई ठिकाना नहीं बचा। उन्होंने कहा, “अब जैसे-तैसे दूसरी जगह जाकर गुजारा करना पड़ेगा।”
40 मकानों को चिन्हित किया गया था
कैंट बोर्ड के जेई मनोज यादव ने बताया कि दिवाली से पहले सभी अवैध अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किया गया था। बोर्ड ने करीब 40 मकानों को अवैध घोषित किया था और सोमवार को 25-30 मकानों पर कार्रवाई की गई। इसके साथ ही अन्य चिन्हित मकानों पर भी जल्द कार्रवाई की जाएगी। सेनेटरी इंस्पेक्टर दीप सक्सेना के नेतृत्व में जेसीबी मशीनों के जरिए इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। कैंट बोर्ड की टीम ने जिन मकानों को अवैध माना, उन पर पहले से ही लाल निशान लगाए गए थे। बावजूद इसके, जब टीम कार्रवाई के लिए पहुंची, तो लोग विरोध करने लगे। हालांकि उनका विरोध किसी काम नहीं आया और मकानों को ढहा दिया गया।
कैंट बोर्ड ने किया बचाव
अवैध अतिक्रमण हटाए जाने से प्रभावित लोगों में नाराजगी है। उनका कहना है कि कई सालों से यहां रह रहे थे, लेकिन अब उन्हें दूसरी जगह जाकर ठिकाना ढूंढना पड़ेगा। वहीं कैंट बोर्ड का कहना है कि रक्षा भूमि पर किसी भी तरह का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पहले ही सभी को चेतावनी दी जा चुकी थी। कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान यहीं खत्म नहीं होगा। बाकी बचे चिन्हित मकानों पर भी कार्रवाई की जाएगी। बोर्ड ने यह भी साफ किया है कि रक्षा भूमि पर अवैध निर्माण करने वालों को किसी भी तरह की राहत नहीं दी जाएगी।
इस सख्त कार्रवाई ने एक बार फिर दिखा दिया है कि अवैध अतिक्रमण पर सरकार और प्रशासन अब कोई नरमी बरतने के मूड में नहीं है। हालांकि इस कार्रवाई से प्रभावित लोग अब अपनी समस्याओं को लेकर सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं।