Bangladesh News: बांग्लादेश इन दिनों बड़े सियासी उथल-पुथल से गुजर रहा है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर शुरू हुए सरकार विरोधी आंदोलन में सबसे अधिक भागीदारी छात्रों की है। छात्रों ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन इस दौरान अल्पसंख्यक हिंदुओं को भी निशाना बनाया गया। यूपी के कुंडा विधानसभा से विधायक और जनसत्ता दल के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने लिखा, “#Bangladesh की स्थिति से मन बहुत उद्विग्न है, छात्र आन्दोलन के नाम पर आतंकवाद, आगजनी, हत्या, बलात्कार, लूटपाट क्यों? तख़्तापलट तो हो गया अब हिंसा किस लिए? हिन्दुओं की हत्यायें हो रही हैं, मन्दिर जलाये जा रहे हैं। अन्तरिम सरकार और बाँग्लादेशी सेना अविलम्ब प्रभावी क़दम उठाये। भारतीयों की सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करे और हाँ, विश्व में 57 मुस्लिम देश हैं शेख़ हसीना ने वहाँ ना तो शरण माँगी ना किसी देश ने शरण दी, ऐसा क्यों? सोचियेगा अवश्य…”
Read more: Bangladesh में हिंसा के बाद भारत में शरण लिए थी शेख हसीना, अगले 48 घंटे में यूरोप जाने की संभावना
हिंसा के बीच हिंदुओं को निशाना
बांग्लादेश में तख्तापलट के बावजूद हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। सरकारी नौकरी में आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुए हिंसक घटनाओं में अल्पसंख्यक हिंदू परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है। बांग्लादेश की न्यूज वेबसाइट डेली स्टार के अनुसार, 2022 में बांग्लादेश की आबादी साढ़े सोलह करोड़ से अधिक थी, जिसमें 7.95 प्रतिशत हिंदू समुदाय के लोग शामिल हैं। हिंदुओं की संख्या लगभग एक करोड़ 31 लाख (13.1 मिलियन) है, जो आबादी के हिसाब से दूसरे नंबर पर हैं।
शेख हसीना ने दिया इस्तीफा
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पांच अगस्त को इस्तीफा दे दिया और वह देश छोड़कर भारत आ चुकी हैं। शेख हसीना 2009 से लगातार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं। इस्तीफा देने के बाद वह एक सैन्य विमान से भारत पहुंचीं। बांग्लादेश में जारी हिंसा और अस्थिरता के बीच अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजरें वहां के हालात पर टिकी हुई हैं। हिंसा और उथल-पुथल की इस स्थिति में बांग्लादेश का भविष्य क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।
यह था मामला
बांग्लादेश में जून से जारी नागरिक अशांति ने अब तक 300 से भी अधिक लोगों की जान ले ली है, जिससे यह संकट बांग्लादेश के इतिहास में सबसे गंभीर बन गया है। इस हिंसा की शुरुआत उच्च न्यायालय के एक फैसले से हुई थी, जिसमें 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30 प्रतिशत कोटा बहाल कर दिया गया था। 2018 में समाप्त किए गए इस कोटे के पुनर्स्थापन के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए, जो धीरे-धीरे हिंसक रूप ले गए।