Bangladesh News: बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा भूचाल आया है। इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (International Crimes Tribunal) ने बांग्लादेश (Bangladesh) की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना (Sheikh Hasina) के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। हसीना के साथ 45 अन्य लोगों पर भी गिरफ्तारी का आदेश है, जिनमें पार्टी के शीर्ष नेता शामिल हैं। यह वही प्राधिकरण है जिसे शेख हसीना ने खुद बनाया था, ताकि 1971 के पाकिस्तान-युद्ध के दौरान मानवाधिकार हनन में मदद करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। पर अब इसी प्राधिकरण का इस्तेमाल करते हुए, मोहम्मद यूनुस की कार्यकारी सरकार ने शेख हसीना के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है।
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राजनीतिक उथल-पुथल के बीच जारी हुआ अरेस्ट वारंट
13 अक्टूबर को मुख्य अभियोजक एडवोकेट ताजुल इस्लाम ने यह साफ कर दिया था कि उन लोगों के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने जुलाई में देश के विभिन्न हिस्सों में दंगे और हिंसा में भाग लिया था। इनमें शेख हसीना और अवामी लीग के नेता प्रमुख नाम हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि इंटरपोल (Interpol) की मदद से उन नेताओं और कार्यकर्ताओं को पकड़ने की योजना बनाई गई है, जो देश से बाहर भाग चुके हैं। इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता में शुरू हुई कार्यवाही में अभियोजन टीम ने शेख हसीना और अन्य नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की। अदालत ने सरकार को आदेश दिया है कि 18 नवंबर तक शेख हसीना और अन्य आरोपियों को पेश किया जाए।
मानवाधिकार हनन और राजनीतिक प्रतिशोध के लगे आरोप
अभियोजन पक्ष के अनुसार, शेख हसीना के 15 वर्षों के शासन के दौरान बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ। ताजुल इस्लाम का कहना है कि हसीना ने राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से अपने विरोधियों को जेल में डाल दिया और जुलाई-अगस्त 2023 में हुए हिंसक घटनाओं के पीछे उनका ही हाथ था। इन घटनाओं में बड़े पैमाने पर नरसंहार और हत्याएं शामिल थीं, जो हसीना की सरकार के नियंत्रण में हुईं।
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बांग्लादेश कर सकता है प्रत्यर्पण की मांग
शेख हसीना फिलहाल भारत में शरण लिए हुए हैं, और उन्हें पिछले कुछ महीनों से सार्वजनिक रूप से कहीं नहीं देखा गया है। उनकी अनुपस्थिति ने बांग्लादेश की मौजूदा सरकार को और भी सख्त कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है। इस बीच, बांग्लादेश सरकार ने हसीना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि वे अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी पुरानी हैसियत से नहीं लड़ सकेंगी। बांग्लादेश की मौजूदा सरकार भारत से हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग भी कर सकती है, जो उनके लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता या न्याय की लड़ाई?
शेख हसीना के खिलाफ लगाए गए आरोपों और जारी अरेस्ट वारंट ने बांग्लादेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। क्या यह मामला सिर्फ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का है, या वाकई शेख हसीना के शासन में मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ? इस पर अभी बहुत कुछ साफ होना बाकी है, लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में बांग्लादेश की राजनीति में अस्थिरता और बढ़ सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार पर इस प्रत्यर्पण की मांग का क्या असर होगा और बांग्लादेश की राजनीति में आगे क्या मोड़ आते हैं।