Bandhan Bank Share price: मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs) से जुड़े एक महत्वपूर्ण ऐलान के बाद, वित्तीय क्षेत्र में हलचल मच गई। केंद्रीय बैंक ने ऐलान किया कि वह NBFCs से बैंक लोन पर रिस्क वेट कम कर रहा है। इसके बाद, आज के कारोबार में बंधन बैंक और अन्य NBFC स्टॉक्स में 8% तक की तेज़ी देखी गई। यह कदम बैंक लोन पर रिस्क वेट को 125 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत करने से संबंधित था, जिसका प्रभाव वित्तीय बाजारों में स्पष्ट रूप से देखने को मिला।
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आरबीआई का निर्णय
रिजर्व बैंक द्वारा किए गए इस कदम के मुताबिक, एनबीएफसी के लिए बैंक लोन पर रिस्क वेट को 125 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया है। यह बदलाव 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा। इस बदलाव से वित्तीय कंपनियों को राहत मिलेगी, विशेष रूप से उन कंपनियों को जो माइक्रोफाइनेंस, रियल एस्टेट और अन्य क्षेत्रों में काम करती हैं। इस फैसले से उम्मीद की जा रही है कि NBFCs में क्रेडिट फ्लो बढ़ेगा, जिससे कंपनियों के संचालन में भी सुगमता आएगी और उनकी पूंजी लागत में कमी आएगी।
बाजार में तेजी का प्रभाव
रिजर्व बैंक के इस फैसले ने बाजार में एक सकारात्मक प्रभाव डाला, जिससे फाइनेंशियल सेक्टर के शेयरों में जोरदार तेजी आई। बंधन बैंक के शेयरों में 7.8% की बढ़ोतरी देखी गई और यह 145.8 रुपये के स्तर पर पहुंच गए। वहीं, इंडसइंड बैंक के शेयरों में भी 1.7% का उछाल आया और यह 1,062.05 रुपये पर पहुंच गए। साथ ही, दिग्गज नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी, बजाज फाइनेंस के शेयरों में 2.4% की बढ़ोतरी हुई और यह 8,699.4 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहे थे।
आरबीआई के इस कदम से NBFCs को मिल रही राहत
रिजर्व बैंक का यह कदम NBFCs के लिए बड़ी राहत का कारण बन सकता है, क्योंकि अब इन्हें बैंकों से सस्ते और कम जोखिम वाले लोन मिल सकते हैं। इस फैसले से न केवल NBFCs को उधारी में मदद मिलेगी, बल्कि इससे माइक्रोफाइनेंस और छोटे कर्जदाताओं को भी फायदा होगा। इससे छोटे और मझोले उद्योगों को कर्ज मिलना आसान हो जाएगा, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा सकारात्मक संकेत है।
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अगले वित्तीय वर्ष में NBFCs के लिए उम्मीदें
नए वित्तीय वर्ष के शुरू होने से पहले, यह निर्णय एक सकारात्मक कदम है, जो बैंक लोन पर जोखिम कम करने के साथ-साथ एनबीएफसी के लिए एक मजबूत वित्तीय आधार तैयार करेगा। इस कदम से न केवल भारतीय रिजर्व बैंक का उदार दृष्टिकोण स्पष्ट हुआ है, बल्कि यह भी संकेत मिला है कि भारतीय वित्तीय बाजार में अब और अधिक लचीलापन और नवाचार की संभावना है।