Bahraich Violence: इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने बहराइच हिंसा के बाद आरोपियों के घरों पर बुलडोजर कार्रवाई को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने उन व्यक्तियों को राहत दी है जिन्हें बहराइच (Bahraich) के कुंडसर-महसी-नानपारा-महराजगंज मार्ग पर अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए नोटिस दिया गया था. कोर्ट ने नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए दिए गए समय को 15 दिन बढ़ा दिया है. इसके साथ ही राज्य के अधिकारियों को नोटिस का जवाब मिलने के बाद ही कोई कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी.
Read More: विदेश में रहकर भी Priyanka Chopra ने निभाए भारतीय रीति-रिवाज, निक जोनस के साथ मनाया Karwa Chauth
हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश
बताते चले कि रविवार को एक विशेष पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश जारी किया है. जनहित याचिका एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (Association for Protection of Civil Rights) द्वारा दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि राज्य सरकार ने अवैध तरीके से ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किया है और यह सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों का उल्लंघन है, जिसमें बुलडोजर की कार्रवाई पर प्रतिबंध लगाया गया है. अदालत ने इस पर संज्ञान लेते हुए तत्काल प्रभाव से ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.
तीन दिन में जवाब देने पर आपत्ति
हाईकोर्ट की पीठ (High Court bench) ने राज्य सरकार के नोटिस पर आपत्ति जताई, जिसमें आरोपियों को केवल तीन दिनों के भीतर जवाब देने का समय दिया गया था. अदालत ने कहा कि इतनी अल्प अवधि में जवाब दाखिल करने का आदेश उचित नहीं है. इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि नोटिस में स्पष्ट नहीं है कि कितने घर विधिवत अधिकृत हैं. पीठ ने यह निर्देश दिया कि सीएससी (मुख्य स्थायी अधिवक्ता) को इस मुद्दे पर पूर्ण निर्देश प्राप्त करने के लिए तीन दिनों का समय दिया जाता है.
अवैध ढांचे गिराने पर रोक
कोर्ट ने यह भी व्यवस्था दी कि जिन लोगों को नोटिस मिला है, वे 15 दिनों के भीतर जवाब दाखिल कर सकते हैं और इस जवाब पर विचार करने के बाद ही राज्य के अधिकारी कोई निर्णय लेंगे. अदालत ने पीड़ित पक्षों को इस बारे में सूचित करने के लिए भी कहा। साथ ही, संबंधित सड़क की श्रेणी और मानदंडों की स्थिति को अगली सुनवाई में स्पष्ट करने का निर्देश दिया.
कैसे हुई हिंसा की शुरुआत ?
आपको बता दे कि 13 अक्टूबर को बहराइच (Bahraich) के रेहुआ मंसूर गांव में एक धार्मिक जुलूस के दौरान गाना बजाने को लेकर सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो गया था. इस टकराव के दौरान 22 वर्षीय युवक राम गोपाल मिश्रा की गोली लगने से मौत हो गई थी, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी. इस हिंसा के बाद पीडब्ल्यूडी ने क्षेत्र में 23 मकानों और प्रतिष्ठानों को ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी किया था. इन मकानों में से 20 मुस्लिम समुदाय के थे. ये नोटिस सड़क नियंत्रण अधिनियम 1964 के तहत जारी किए गए थे.
बुलडोजर कार्रवाई का विरोध
जनहित याचिका में दावा किया गया कि राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अवैध ढांचे गिराने की योजना बनाई थी. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राज्य ने बिना उचित प्रक्रिया के नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि उचित जांच और प्रक्रिया के बाद ही कोई कदम उठाया जा सकता है.