Bahraich Encounter: उत्तर प्रदेश के बहराइच हिंसा (Bahraich violence) के मुख्य आरोपियों का पुलिस द्वारा एनकाउंटर किए जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) और उत्तर प्रदेश पुलिस एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस एनकाउंटर के बाद सियासी माहौल गरम हो गया है। योगी आदित्यनाथ की सरकार, जो एनकाउंटर्स और बुलडोजर एक्शन के लिए जानी जाती है, एक बार फिर चर्चा का विषय बनी हुई है। बहराइच हिंसा में मारे गए व्यक्ति के परिवार ने योगी सरकार से अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी और कहा था कि आरोपियों का एनकाउंटर (Bahraich Encounter) किया जाना चाहिए। परिवार ने आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने की भी गुहार लगाई थी। इस घटना के बाद यूपी में कानून-व्यवस्था और पुलिस एनकाउंटर पर सियासी बहस छिड़ गई है।
योगी सरकार के कार्यकाल में हुए 12,964 एनकाउंटर
योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में एनकाउंटर्स के आंकड़े अक्सर चर्चा का विषय बनते रहे हैं। 20 मार्च 2017 से 5 सितंबर 2024 तक के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश पुलिस ने कुल 12,964 एनकाउंटर्स किए हैं। इन एनकाउंटर्स में 207 संदिग्ध अपराधियों की मौत हुई, जबकि 27,117 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। वहीं, 1,601 अपराधी इन मुठभेड़ों में घायल हुए। अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो औसतन हर 13वें दिन एक लिस्टेड अपराधी के साथ एनकाउंटर हुआ। इसमें सिर्फ अपराधी ही नहीं, पुलिसकर्मी भी घायल हुए। 17 पुलिसकर्मियों ने इन एनकाउंटर्स में अपनी जान गंवाई, जबकि हजारों पुलिसकर्मी घायल हुए।
एनकाउंटर में मारे गए अपराधियों पर था इनाम
योगी सरकार के एनकाउंटर में मारे गए अपराधियों पर सरकार ने इनाम घोषित किया हुआ था। मारे गए अपराधियों पर 75 हजार रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का इनाम था। एनकाउंटर्स में मारे गए अपराधियों की जाति के आधार पर आंकड़े भी सामने आए हैं। एनकाउंटर्स में मुसलमान अपराधियों की संख्या सबसे अधिक 67 रही, जबकि ब्राह्मण 20, ठाकुर 18, यादव 16, दलित 14, एसटी 3, सिख 2 और अन्य ओबीसी समूह के 8 अपराधी मारे गए। इसके अलावा अन्य जातियों और धर्मों के कुल 59 अपराधी भी इन एनकाउंटर्स में मारे गए।
Read more: Bahraich Encounter: बहराइच हिंसा के मुख्य आरोपी सरफराज और तालिब पुलिस मुठभेड़ में ढेर
मंसूर पहलवान का एनकाउंटर बना था चर्चा का विषय
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सहारनपुर में पहला बड़ा एनकाउंटर हुआ था। यह एनकाउंटर 2017 के सितंबर में मंसूर पहलवान का था, जो उस वक्त चर्चा का विषय बना था। इसके बाद पुलिस ने कई अन्य बड़े अपराधियों का एनकाउंटर किया। हालांकि, कई एनकाउंटर्स को लेकर सवाल भी उठाए गए। विपक्ष ने योगी सरकार के एनकाउंटर मॉडल को ‘फर्जी एनकाउंटर्स’ का नाम दिया और इसे सरकार की नाकामी से जोड़ने की कोशिश की।
Read more; Lucknow: गोमतीनगर अंडरपास छेड़छाड़ मामले में एसएचओ 5 पुलिसकर्मी दोषी, जल्द होगी दंडात्मक कार्रवाई
विपक्ष का एनकाउंटर्स पर सवाल
योगी सरकार के एनकाउंटर्स को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर रहा है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि एनकाउंटर के नाम पर सरकार अपनी विफलताओं को छिपा रही है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कई मौकों पर इन एनकाउंटर्स पर सवाल उठाए हैं और इसे ‘हाफ एनकाउंटर’ का नाम दिया है। उनका आरोप है कि योगी सरकार अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय फर्जी एनकाउंटर कर रही है ताकि जनता का ध्यान असली मुद्दों से हटाया जा सके।
एनकाउंटर मॉडल: योगी सरकार का दावा या विवाद?
योगी आदित्यनाथ की सरकार को एनकाउंटर और बुलडोजर एक्शन के लिए जाना जाता है। उनकी सरकार ने दावा किया है कि अपराध पर लगाम लगाने के लिए एनकाउंटर मॉडल सबसे कारगर साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने बयानों में कई बार कहा है कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है और जो कानून का उल्लंघन करेंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। जहां सरकार इसे अपराध पर नियंत्रण का कारगर तरीका बता रही है, वहीं विपक्ष और मानवाधिकार संगठन इसे फर्जी एनकाउंटर का नाम दे रहे हैं। अब देखना होगा कि इस मामले में सियासी बयानबाजी कहां तक जाती है और क्या एनकाउंटर की इस नीति पर कोई ठोस फैसला लिया जाएगा या नहीं।
Read more: New CJI: न्यायमूर्ति संजीव खन्ना होंगे देश के अगले चीफ जस्टिस, CJI Chandrachud ने की सिफारिश