बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या से जुड़ा है, जिसमें उनकी मां अंजू मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपने पोते की कस्टडी की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट में 7 जनवरी को इस मामले की सुनवाई हुई, लेकिन फिलहाल उन्हें कोई अंतरिम राहत नहीं मिली। कोर्ट ने कहा कि दादी, बच्चे के लिए अजनबी की तरह हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक आरोप सिद्ध नहीं होते, तब तक अतुल की पत्नी को दोषी नहीं माना जा सकता। मामले में अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी।
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बच्चे को कोर्ट में पेश करने की याचिका
अंजू मोदी ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें उनके पोते की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि बच्चा अतुल की पत्नी, निकिता सिंघानिया के पास है। कोर्ट ने निकिता से पूछा कि बच्चा कहाँ है, उसकी उम्र क्या है, और किस स्कूल में पढ़ाई कर रहा है। कोर्ट ने बच्चे को कोर्ट में पेश करने की बात भी की। इसके अलावा, यह भी बताया गया कि जब बच्चा ढाई साल का था, तब उसकी दादी से मुलाकात हुई थी, और अब वह अपनी दादी को नहीं जानता।
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अतुल सुभाष की कहानी
बेंगलुरू में AI इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड केस में आरोपी निकिता सिंघानिया, उसकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को बेंगलुरू के सिटी सिविल कोर्ट से जमानत मिल गई है। इन आरोपियों ने पहले सत्र अदालत में जमानत की याचिका लगाई थी, और कर्नाटक हाई कोर्ट ने सत्र अदालत को जल्द फैसला करने का निर्देश दिया था। इसके बाद, आज सिटी सिविल कोर्ट ने इन आरोपियों को जमानत दे दी।
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इस मामले की शुरुआत 9 दिसंबर को हुई थी, जब अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली थी। उसने अपनी मौत से पहले एक 40 पन्नों का सुसाइड नोट और 90 मिनट का वीडियो छोड़ा था, जिसमें उसने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था। पुलिस ने इन आरोपियों को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।इस जमानत फैसले के बाद, आरोपियों को राहत मिली है, लेकिन यह मामला अभी भी अदालत में चल रहा है।