Bhojshala Survey Report: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला (Bhojshala) की 151 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट सोमवार को इंदौर हाई कोर्ट की खंडपीठ में पेश की। इस सर्वे की रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था, क्योंकि इसी के आधार पर कोर्ट में सुनवाई होगी। अगली सुनवाई 22 जुलाई को निर्धारित की गई है। भोजशाला के उत्खनन के दौरान एएसआई को देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां मिलीं, जो इस स्थल को महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व प्रदान करती हैं।
ASI के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी के निर्देशन में हुए इस सर्वे में 1700 से ज्यादा पुरावशेष खोदाई में मिले हैं। इनमें मां वाग्देवी की खंडित मूर्ति भी शामिल है, जो भोजशाला से लंदन ले जाई गई मूर्ति के समान ही बताई जा रही है, हालांकि आकार में यह छोटी है।
सर्वे रिपोर्ट की प्रतीक्षा
पहले ASI को चार जुलाई को सर्वे रिपोर्ट हाई कोर्ट में प्रस्तुत करनी थी, किंतु रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई थी। नतीजतन, एएसआई के अनुरोध पर हाई कोर्ट ने 10 दिन का अतिरिक्त समय दिया था, जो रविवार यानी 14 जुलाई को पूरा हो गया था। चूंकि रविवार को अवकाश था, इसलिए 15 जुलाई को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इसी बीच, जैन समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था के कार्यकर्ता ने भी हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर भोजशाला (Bhojshala) को जैन धार्मिक स्थल होने का दावा किया है। इस पर भी हाई कोर्ट में सुनवाई की जानी है। ASI सर्वे रिपोर्ट में मिले अवशेषों को महत्व रहेगा, जो इस मामले की कानूनी कार्यवाही में अहम साबित होंगे।
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पुरावशेष और मूर्तियों की खोज
भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा और याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने बताया कि सर्वे में अब तक जो पुरावशेष मिले हैं, वे भोजशाला को मंदिर साबित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक खोदाई में मिले पुरावशेषों में 37 मूर्तियां शामिल हैं। इनमें भगवान श्रीकृष्ण, जटाधारी भोलेनाथ, हनुमान, शिव, ब्रह्मा, वाग्देवी, भगवान गणेश, माता पार्वती, भैरवनाथ आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। भगवान गणेश की दो मूर्तियां हैं।
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ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और जीपीएस का उपयोग
इंदौर हाई कोर्ट (Indore High Court) ने 11 मार्च को एएसआई (ASI) को भोजशाला में 500 मीटर के दायरे में वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया था। यह सर्वे 22 मार्च से शुरू होकर 27 जून तक चला। 98 दिन के इस सर्वे के दौरान कई खोदाई हुई, जिसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की गई। सर्वे के दौरान ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) की भी मदद ली गई।
अगली सुनवाई की तैयारी
हाई कोर्ट में पेश की गई इस रिपोर्ट के आधार पर अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी। इस रिपोर्ट से ही यह तय होगा कि भोजशाला का ऐतिहासिक सच क्या है और इसका धार्मिक महत्व किस प्रकार का है। अब सभी की निगाहें इस रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह भोजशाला से जुड़े विवादों का निपटारा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
ASI की यह सर्वे रिपोर्ट भोजशाला के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को स्थापित करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। हाई कोर्ट में अगली सुनवाई के बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि भोजशाला का सच क्या है और इसके ऐतिहासिक महत्व को किस प्रकार से देखा जाएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर ही कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी और भोजशाला के भविष्य का निर्धारण होगा।