Ashok Gehlot: राजस्थान विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस पार्टी में सिर फुटव्वल की स्थिति हो गई है.राज्य में बीजेपी की ओर से अभी सीएम पद के नाम की घोषणा भी नहीं हुई है लेकिन कांग्रेस के भीतर राज्य के दो बड़े नेताओं के बीच का विरोध फिर से सामने आ गया है।दरअसल राजस्थान समेत 4 राज्यों में जबसे कांग्रेस पार्टी को हार मिली है तभी से सभी कांग्रेसी नेता हार की जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं और एक-दूसरे पर आरोप लगाने में जुटे हुए हैं।
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‘सचिन पायलट के फोन को किया ट्रैक’
राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच पुरानी अदावत फिर से सामने आ गई है.चुनाव के नतीजे आने के 48 घंटे के भीतर अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने दावा किया है कि,2020 में जब सचिन पायलट ने अशोक गहलोत से बगावत का सुर अलापा था तब राज्य सरकार उनकी गतिविधियों पर नजर रखे हुई थी.इतना ही नहीं सरकार की ओर से उनके फोन को भी ट्रैक किया जा रहा था।
सचिन पायलट ने विधायकों के साथ की थी बगावत
आपको बता दें कि,2020 में सचिन पायलट ने अपने खेमे के 18 विधायकों के साथ Ashok Gehlot को लेकर बगावत कर दी थी.जिसके बाद विधायकों को लेकर वो मानेसर के एक रिसॉर्ट में शिफ्ट हो गए थे.इससे नाराज होकर अशोक गहलोत ने उन्हें डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया था.हालांकि सचिन पायलट की बगावत के बावजूद अशोक गहलोत अपनी सरकार बचाने में कामयाब हो गए थे और सचिन पायलट के साथ गए कई विधायकों को अपने खेमे में लाने में भी सफल हुए थे।
टिकट नहीं मिलने से नाराज लोकेश शर्मा
पूर्व सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा के आरोपों पर अब तक किसी कांग्रेस नेता का बयान सामने नहीं आया है लेकिन भीतर ही भीतर इस बात को लेकर भी चर्चा जोरों पर है कि,लोकेश शर्मा को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया और अब चुनाव में पार्टी की हार के लिए वो सीधे तौर पर अशोक गहलोत पर निशाना साध रहे हैं।
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मतभेदों के कारण पार्टी को पहुंचा नुकसान
जगजाहिर है कि,गहलोत और पायलट के बीच का विरोध किसी से छिपा नहीं है बीते कुछ वक्त से दोनों के बीच मनमुटाव की स्थिति देखी जा रही थी लेकिन पार्टी आलाकमान की समझाइश के बाद दोनों नेता ने चुनाव में एकसाथ आकर पार्टी हित में काम किया.लोकेश शर्मा का कहना है कि,अगर बीते साल सितंबर की घटनाएं नहीं होती जब विधायक दल की बैठक को गहलोत खेमे के साथियों ने नहीं होने दिया था और कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने उस एजेंडे को पूरा कर लिया होता जिसके लिए वे आए थे तो राजस्थान में परिणाम आज कुछ और होते.उनका कहना है कि,अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेदों के चलते पार्टी को नुकसान पहुंचा है।